बारिश के उफान पर चंबल,आगरा के 7 गांवों से संपर्क टूटा,घरों में कैद हुए लोग

आगरा।मध्य प्रदेश और राजस्थान में हो रही बारिश से चंबल में बाढ़ के हालात हैं।मंगलवार को चंबल नदी का जलस्तर बाढ़ के चेतावनी बिंदु को पार कर गया,जिससे आगरा जिले के पिनाहट और बाह के सात गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।गांवों के रास्ते में पानी भर गया है।ग्रामीण टापुओं पर फंसे हैं।चंबल खतरे के निशान से तीन मीटर नीचे बह रही है।बहाव तेज है,अंदाजा लगाना मुश्किल है कि चंबल का जलस्तर कितना ऊपर जाएगा। 38 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक बीते रविवार को कोटा बैराज से 2.90 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।सोमवार देर रात 12 बजे पिनाहट से करीब 6.50 लाख क्यूसेक पानी पास होने की संभावना जताई गई थी।सिंचाई विभाग ने अनुमान जताया था कि पिनाहट पर जलस्तर 124 मीटर तक रहेगा,लेकिन तेज बहाव से मंगलवार शाम पांच बजे जलस्तर 127 मीटर पार कर गया,ये बाढ़ का चेतावनी स्तर है।पानी ने तटवर्ती गांवों में तबाही मचानी शुरू कर दिया है।

पिनाहट ब्लॉक के रेहा,डंगोरा,कछियारा और बाह के गुढ़ा, गौहरा,झरनापुरा और रानीपुरा के संपर्क मार्ग जलमग्न हो गए हैं।इन गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बहाव तेज है, जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच सकता है। तटवर्ती 38 गांवों को अलर्ट कर दिया गया है। पशुओं और सामान को ऊंचे स्थानों पर ले जाने की हिदायत दी गई है।

बता दें कि चंबल बाढ़ के दौरान रौद्र रूप धारण कर लेती है। रातोंरात पानी गांव में भर जाता है।तटवर्ती गांव उमरैठा पुरा, गुढ़ा,गौहरा,भटरपुरा,रानीपुरा,डालपुरा,झरनापुरा,रैहा,बरैंडा, डोंगरा,सिमराई,क्योरी ऊपरी पुरा,बीच का पुरा,बासोनी, भगवानपुरा सहित 38 गांवों के लोग तनाव में हैं,ये जाग कर रातें काट रहे हैं।ग्रामीणों ने जरूरी सामान और पशुओं को ऊंचे टीलों पर शिफ्ट कर दिया है। वे घरों की छतों पर परिवार सहित सो रहे हैं। उनका कहना है कि कई बार रातोंरात गांव में जलभराव हो जाता है और लोग फंस जाते हैं।

जिला प्रशासन ने पिनाहट,बासोनी,मनसुखपुरा,उमरैठा,खेड़ा राठौर,सिमराई,नंदगंवा,भगवानपुरा में बाढ़ चौकियां स्थापित की हैं।लेखपाल और कानूनगो तैनात किए गए हैं। उन्हें नदी के जलस्तर और ग्रामीणों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। पूरी रिपोर्ट तहसील मुख्यालय को भेजी जा रही है। सिंचाई विभाग के अनुसार, चंबल में खतरे का निशान 130 मीटर है। यदि बारिश जारी रही, तो जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा सकता है।

जैसे ही जलस्तर 127 मीटर पार हुआ, सिंचाई विभाग ने पंप हाउस को सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी। पंप हाउस नंबर एक की मशीनों को बचाने के लिए दीवार लगाने का कार्य शुरू किया गया है। वर्ष 2022 में बाढ़ का पानी पंप हाउस में घुस गया था, जिससे विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था।