बिजली निजीकरण की साजिश पर भड़के कर्मचारी, 9 जुलाई को होगा प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन

संघर्ष समिति ने दी तीखी चेतावनी

नियामक आयोग पर दबाव डालकर आरएफपी अनुमोदन की कोशिश से आक्रोश, संघर्ष समिति ने दी तीखी चेतावनी

गोरखपुर।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए विद्युत नियामक आयोग पर दबाव डालकर असंवैधानिक आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) दस्तावेज का अनुमोदन कराने की खबर से पूरे प्रदेश के बिजली कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा हुआ तो तीव्र प्रतिक्रिया होगी और पूरे प्रदेश में आंदोलन तेज किया जाएगा।

संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण के विरोध में 9 जुलाई को देश भर में 27 लाख बिजली कर्मचारी सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इस दिन देश के 20 करोड़ से अधिक कर्मचारी और मज़दूर निजीकरण की नीति के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश के एक लाख से अधिक बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, अभियंता और जूनियर इंजीनियर 9 जुलाई को कार्य बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

संघर्ष समिति के पदाधिकारी इस्माइल खान, पुष्पेंद्र सिंह, जीवेश नंदन, अमरदीप सागर, जितेंद्र कुमार गुप्त सहित दर्जनों पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा कि आज शासन के शीर्ष अधिकारी—मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा), पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक—नियामक आयोग पहुंचे और आयोग के अध्यक्ष के साथ गुप्त बैठक की। यह जानकारी वायरल होते ही बिजली कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया।

समिति का आरोप है कि नियामक आयोग पर दबाव डालकर जिस आरएफपी दस्तावेज का अनुमोदन कराने की कोशिश की जा रही है, वह पहले ही आपत्तियों के कारण वापस किया जा चुका है। यह दस्तावेज अवैध रूप से नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रान्ट थॉर्टन द्वारा तैयार किया गया था, जो अमेरिका में दंडित भी हो चुका है और जिसने भारत में झूठा शपथ पत्र देकर नियुक्ति पाई।

समिति ने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया में 7 महीने से नियमों और परंपराओं की अनदेखी हो रही है। निदेशक वित्त निधि नारंग को तीन बार अनुचित रूप से सेवा विस्तार दिया गया, जो पूरी प्रक्रिया को संदिग्ध बनाता है।

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे अपनी “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस” नीति का पालन करते हुए इस प्रक्रिया को तत्काल रोकें। समिति ने चेताया कि यदि निजीकरण की कोशिशें नहीं रुकीं तो आंदोलन और तेज होगा।

आज 222वें दिन भी प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। कई कर्मचारियों ने स्वेच्छा से जेल भरो आंदोलन में शामिल होने के लिए नाम दर्ज कराया।
वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, झांसी, बरेली, सुल्तानपुर, अयोध्या समेत लगभग 30 ज़िलों में बड़ी विरोध सभाएं हुईं।