बिहार में नए बदलाव की पटकथा ने बढ़ाया सतीश शर्मा का कद

बाराबंकी। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार फतह ने उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश चन्द्र शर्मा का राजनीतिक कद एक बार फिर बढ़ा दिया है। ओबरा, नबीनगर, नोखा और डेहरी—इन चार महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर मिली जीत ने न केवल बिहार की चुनावी हवा बदल दी, बल्कि मगध क्षेत्र में वर्षों पुरानी राजनीतिक जड़ों को भी हिला दिया।

इस चुनाव में वह हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। “राजनीतिक विरासत” के नाम से मशहूर माने जाने वाले आरजेडी के आधार वोट बैंक में इस बार बड़ी सेंध लगी। विकास, डबल इंजन सरकार की नीतियों और महिला–युवा केंद्रित एमवाई फैक्टर ने पूरे चुनाव में गूंज पैदा की। राजनीतिक ‘चाणक्य’ माने जाने वालों का प्रभाव इस बार बुरी तरह टूट गया।

सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही मगध क्षेत्र की, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र और युवा मंत्री सतीश चन्द्र शर्मा को जिम्मेदारी दी गई थी। शर्मा ने रणनीतिक नेतृत्व करते हुए औरंगाबाद जिले की दो सीटों पर एनडीए का परचम फहरा दिया, जहां पिछली बार आरजेडी का दबदबा था।

ओबरा विधानसभा से लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रकाश चन्द्र,
नबीनगर से जेडीयू प्रत्याशी चेतन आनन्द,
नोखा विधानसभा से जेडीयू प्रत्याशी नागेन्द्र चंद्रवंशी,
और डेहरी विधानसभा से लोजपा (रामविलास) के राजीव रंजन सिंह ने जीत दर्ज की।
इन चारों जीतों का श्रेय मंत्री सतीश शर्मा की प्रभावी रणनीति को भी दिया जा रहा है।

वोट चोरी और आयोग पर आरोपों के बावजूद एनडीए द्वारा मिली बड़ी जीत ने विपक्ष की बोलती बंद कर दी। बिहार की राजनीति में भाजपा के प्रचंड उभार से पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त खुशी की लहर है। खासकर सतीश शर्मा के समर्थकों में जीत को लेकर उत्साह चरम पर है।

सतीश शर्मा ने यह साबित कर दिया कि चुनाव जीतने के लिए जनता की नब्ज पहचानना और लगातार जमीनी स्तर पर मेहनत करना ही सफलता का मूलमंत्र है। बिहार चुनाव में वे न केवल एक प्रचारक के रूप में, बल्कि जनता के बीच लोकप्रिय जनप्रतिनिधि के रूप में उभरे। उन्होंने भाजपा की नीतियों को घर-घर पहुंचाने का काम किया—उसका सीधा लाभ एनडीए के खाते में गया।

सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति और तालमेल भी इस जीत की बड़ी वजह माना जा रहा है। यूपी के सीमावर्ती राज्य बिहार में ‘कमल’ खिलाने के बाद सतीश शर्मा ने संकेत दे दिया है कि “मगध जीत लिया, अब लक्ष्य अवध की विजय” है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस तरह कांग्रेस और आरजेडी का लगभग सफाया इस चुनाव में हुआ है, उससे साफ है कि विपक्ष को सत्ता में वापसी के लिए अब लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है।