अब गुप्त अदालत तय करेगी बीजेपी माननीयों का भविष्य!

जनता के बीच किस तरह का फीडबैक जुटाया जा रहा है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दांव खेलने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने मौजूदा विधायकों की कार्यशैली, उनकी लोकप्रियता और जनता से जुड़ाव की जांच के लिए एक इंटरनल सर्वे शुरू करने का फैसला किया है। इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि किस विधायक को दोबारा टिकट मिलेगा और किसका पत्ता कटेगा। सूत्र बताते हैं कि यह सर्वे पूरी तरह गुप्त रखा जाएगा और विधायक यह भी नहीं जान पाएंगे कि जनता के बीच किस तरह का फीडबैक जुटाया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि सर्वे की शुरुआत पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से की जा रही है। इसके बाद काशी, बृज, अवध और अन्य इलाकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। पार्टी का इरादा साफ है कि टिकट उन्हीं को दिया जाएगा जो जनता और संगठन की कसौटी पर खरे उतरें। इस सर्वे के जरिए विधायकों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। A श्रेणी में वे विधायक आएंगे जो जनता में लोकप्रिय हैं और जिनकी पकड़ बेहद मजबूत है। B श्रेणी में औसत प्रदर्शन वाले विधायक रखे जाएंगे, जबकि C श्रेणी में वे माननीय होंगे जिनकी छवि कमजोर या नकारात्मक है। सूत्रों के मुताबिक C श्रेणी में आने वालों का टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, सर्वे का पैमाना बेहद सख्त रखा गया है। इसमें केवल जातिगत समीकरण या व्यक्तिगत प्रभाव ही नहीं देखा जाएगा, बल्कि विधायक निधि का उपयोग, क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति, जनता के बीच पहुंच, स्थानीय समस्याओं को हल करने की क्षमता और संगठन के साथ तालमेल को भी परखा जाएगा। यहां तक कि यह भी देखा जाएगा कि विधायक कितनी बार अपने इलाके में पहुंचे और आम नागरिकों से उनका जुड़ाव कैसा है। सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में उनकी छवि भी इस आकलन का हिस्सा होगी।

सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व का स्पष्ट संदेश है कि टिकट अब केवल वही पाएंगे जो जनता की अदालत में पास होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों चाहते हैं कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी जाए। ऐसे में कमजोर और नकारात्मक छवि वाले नेताओं को हटाना ही बेहतर माना जा रहा है। पार्टी मानती है कि इससे जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि बीजेपी अपने विधायकों की जवाबदेही तय करती है और जनता की राय को सबसे ऊपर रखती है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन और विपक्ष की सक्रियता के कारण पार्टी किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती। सूत्रों का कहना है कि यहां के कई विधायकों पर जनता की नाराजगी सामने आई है, इसलिए उनकी रिपोर्ट कार्ड पर विशेष नजर रहेगी। वहीं पूर्वांचल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों की साख से जुड़ा क्षेत्र है, इसीलिए यहां भी कोई चूक नहीं की जाएगी। काशी को प्रधानमंत्री की कर्मभूमि माना जाता है और बृज क्षेत्र धार्मिक-जातीय समीकरणों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। अवध सदैव सत्ता की राजनीति का केंद्र रहा है, इसलिए इन इलाकों में टिकट वितरण को लेकर पार्टी बेहद सतर्क है।

सूत्रों ने बताया कि इस गुप्त सर्वे में आम जनता की राय को सबसे अहम माना जाएगा। गांवों, कस्बों और शहरों में जाकर यह फीडबैक जुटाया जाएगा कि विधायक ने जनता की कितनी समस्याओं का समाधान किया, क्षेत्र में कितनी बार मौजूद रहे और उनकी छवि कैसी रही। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि जनता की राय ही विधायकों का भविष्य तय करेगी। अगर जनता कहती है कि विधायक क्षेत्र से गायब रहते हैं या घमंडी व्यवहार करते हैं तो उनका टिकट कटना तय है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, A श्रेणी में आने वाले विधायकों का टिकट पक्का है, B श्रेणी वालों के टिकट पर असमंजस रहेगा और उन्हें पार्टी की ओर से चेतावनी दी जा सकती है। वहीं C श्रेणी के विधायक जनता की अदालत में फेल माने जाएंगे और पार्टी उनके स्थान पर नए चेहरों पर दांव लगाएगी। सूत्रों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया न केवल टिकट बंटवारे को पारदर्शी बनाएगी बल्कि संगठन में भी नई ऊर्जा का संचार करेगी।

कुल मिलाकर, बीजेपी का यह इंटरनल सर्वे विधायकों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। जनता की अदालत में जो पास होगा वही दोबारा माननीय कहलाने का हकदार होगा, और जो फेल होगा उसका राजनीतिक भविष्य अधर में लटक सकता है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी अब पूरी तरह से “गुप्त जनता की अदालत” के फैसले पर भरोसा कर रही है और इसी के आधार पर यह तय होगा कि किसमें कितना दम है और किसका टिकट कटेगा।

  • मुकेश वर्मा