उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में जीत का परचम फहराने के बाद बीजेपी ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस लिया है. सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी ने अपने सिंबल या फिर पार्टी अधिकृत प्रत्याशी उतारने की दिशा में मन बना लिया है.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है.
सूबे में कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है. वहीं, 3 जनवरी 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में प्रदेश में एक साथ तीनों पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं.
इसके लिए वोटर लिस्ट का काम दिसंबर के आखिरी में पूरा करने लेने की डेड लाइन निर्वाचन आयोग ने तय कर रखी है.
इसी के साथ पंचायतों के परिसीमन का काम भी चल रहा है, जिसके बाद माना जा रहा है कि अगले साल फरवरी में चुनाव कराए जाने की संभावना है.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का ऐलान कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है. इसीलिए बीजेपी ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारेगी.
पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश भर में जिला संयोजक को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा छह मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है.
उन्होंने बताया कि छह मंत्री और मंडल प्रभारी पंचायत चुनाव की कमान संभालेंगे. जिसमें भी चुनाव शब्द जुड़ा है, उसे बीजेपी हर हाल में लडे़गी.
हमारे लिए कोई चुनाव छोटा बड़ा नहीं है. यूपी में ऐसे बहुत सारे चुनाव हैं, बीजेपी जिन्हें पहली बार लड़ रही है. शिक्षक कोटे का एमलएसी चुनाव हो, गन्ना समिति का चुनाव हो या फिर पंचायत चुनाव बीजेपी यूपी के सभी चुनाव में पूरी ताकत से लड़ने का फैसला कर चुकी है.
पंचायत चुनाव के जरिए हर गांव में नेतृत्व खड़ा करना बीजेपी का मकसद है. बीजेपी ग्राम प्रधान स्तर तक के चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव फतह के लिए जिलों में संयोजक तैनात कर दिए हैं, जो गांव-गांव दस्तक देकर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने ग्राम प्रधान के लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है.
हालांकि, इस पर मंडल प्रभारी के मुहर के बाद ही उसे अधिकृत उम्मीदवार बनाया जाएगा. फिलहाल गांव स्तर पर पंचायत चुनाव मजबूती के साथ लड़ने वाले नेता को देखा जा रहा है.
वहीं, विपक्ष अभी तय नहीं कर पा रहा है कि पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के साथ उतरा जाए की नहीं. सपा ने जिला पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने की तैयारी कर रही है, लेकिन बसपा ने अभी इस दिशा में कोई फैसला नहीं किया है.
हालांकि, जिला पंचायत चुनाव बसपा पहले लड़ चुकी है. वहीं, कांग्रेस ने जिला पंचायत चुनाव तो पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है और ग्राम प्रधान के चुनाव में अधिकृत प्रत्याशी उतारने को मन बना रही है.
बता दें कि यूपी में पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं. हालांकि, इन चुनावों में राजनीतिक दल समर्थित प्रत्याशियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं. वहीं, अभी सिर्फ केरल और पश्चिम बंगाल में ही पंचायत चुनावों में राजनीतिक दल अपने सिंबल पर चुनाव लड़ते हैं.
इसके अलावा अधिकृत उम्मीदवार को ही उतारते रहे हैं. सूबे के पिछले पंचायत चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी समर्थित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था.