नई दिल्ली। चुनाव आयोग के पास दायर आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने 2019-20 में बेचे गए चुनावी बॉन्ड के तीन-चौथाई हिस्से पर कब्जा कर लिया। यहां तक कि मुख्य विपक्षी दल, कांग्रेस को कुल 3,435 रुपये के बॉन्ड का सिर्फ 9 प्रतिशत ही मिला। जिसका मतलब है कि 2019-20 में कुल 3,435 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए थे जिसमें भाजपा का कुल हिस्सा 2,555 करोड़ रुपए रहा। यह पिछले साल की तुलना में 75 प्रतिशत ज्यादा है।
कांग्रेस की कलेक्शन में गिरावट
पिछले साल पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये 1450 करोड़ रुपये हासिल किए थे। दूसरी ओर, इसी अवधि में बीजेपी की प्रमुख सियासी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के कलेक्शन में 17% की गिरावट आई। वर्ष 2018-19 में कांग्रेस को इलेक्टोरल बांड्स से 383 करोड़ रुपये मिले थे लेकिन वर्ष 2019-20 में इसे 318 करोड़ रुपये-कुल इलेक्टोरल बांड्स का 9 फीसदी ही मिला।
अन्य पार्टियों के बॉन्ड की कीमत
इसके अलावा, 2019-20 में कांग्रेस पार्टी ने बांड के माध्यम से 29.25 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस ने 100.46 करोड़ रुपये, द्रमुक ने 45 करोड़ रुपये, शिवसेना ने 41 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय जनता दल ने 2.5 करोड़ रुपये और आम आदमी पार्टी ने 18 करोड़ रुपये एकत्र किए। मार्च 2019 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में भाजपा की आय उसकी पांच प्रमुख विरोधी पार्टियों की कुल आय से भी दोगुनी है।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्सिटम सरकार की जवाबदेही तय नहीं करता
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी। इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के द्वारा लाए गए थे। यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं। सरकार का दावा है कि इससे राजनीतिक चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। सबसे खास बात ये है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है।