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स्थानीय निकायों में भी बीजेपी का जलवा, आंकड़े दे रहे गवाही- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय

स्थानीय निकायों में भी बीजेपी का जलवा, आंकड़े दे रहे गवाही

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने सभी घोड़े मैदान में दौड़ा दिए हैं. चुनाव में अभी करीब चार महीने का वक्त है लेकिन बीजेपी चुनाव की तैयारियां युद्ध स्तर पर कर रही है. खुद गृहमंत्री अमित शाह अगले कुछ महीने लगातार बंगाल का दौरा करने वाले हैं. चुनाव लड़ने और उसे जीतने को लेकर बीजेपी की इच्छाशक्ति के प्रशंसक उसके विरोधी भी हैं.

हाल ही में जब हैदराबाद निकाय चुनाव प्रचार में बीजेपी ने कैबिनेट मंत्री से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को मैदान में उतारा तो सभी हैरान रह गए. बीजेपी संगठन प्रबंधन और इस इच्छाशक्ति का परिणाम भी किसी से छिपा नहीं है. हाल ही में हुए केरल, राजस्थान, असम, महाराष्ट्, हैदराबाद के स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन ने सभी को हैरान किया है.

हैदराबाद में बीजेपी बनी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, टीआरएस-ओवैसी दोनों को झटका

हैदराबाद नगर निकाय चुनाव के फाइनल परिणाम में बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए 48 सीटें साहिल की. बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी. वहीं सत्ताधारी टीआरएस 55 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन बहुमत से दूर रह गई. बीजेपी ने टीआरएस को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने से रोक दिया.

टीआरएस को अपना मेयर बनाने के लिए ओवैसी पार्टी एआईएमआईएम का समर्थन लेना पड़ेगा. ओवैसी की पार्टी के खाते में 44 सीटें आई हैं. वहीं एक चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें ही मिली हैं. पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया.

राजस्थान: कांग्रेस सत्ता में लेकिन बीजेपी का प्रदर्शन ‘शानदार’

राजस्थान के 12 जिलों के 50 नगर निकायों में 1775 वार्ड सदस्यों यानी पार्षद के लिए वोट पड़े. कांग्रेस के सत्ताधारी दल होने के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन बेहतरीन रहा. कांग्रेस ने 544 सीटों पर और भाजपा ने 468 सीटों पर जीत दर्ज की. फाइनल आंकड़े की बात करें तो 50 नगर निकायों के परिणामों में कांग्रेस के 544 उम्मीदवार, भाजपा के 468, बसपा के सात, भाकपा और माकपा के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. राजस्थान में 12 जिलों की 50 निकायों में 43 नगर पालिका और सात नगर परिषदों में 1775 वार्ड हैं.

असम: किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं, BJP को आठ सीट का फायदा

असम में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के 40 सीटों का चुनाव परिणाम भी बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. सत्तारूढ़ बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) 17 सीटों पर चुनाव जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. विधानसभा चुनाव के सेमी फाइनल माने जा रहे इस चुनाव में यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) को 12 सीट, बीजेपी 9 और कांग्रेस-गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) को एक-एक सीटों पर जीत हासिल हुई है.

बीजेपी ने पिछले चुनाव के मुकाबले शानदार प्रदर्शन किया. पिछले चुनाव में बीजेपी के पास सिर्फ एक सीट थी. बीपीएफ और भाजपा राज्य सरकार में तो सहयोगी दल हैं लेकिन इस चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही थीं और चुनाव प्रचार के दौरान एक-दूसरे पर हमलावर भी रही थीं.

महाराष्ट्र: बीजेपी को लगा झटका, 6 में से सिर्फ एक MLC सीट जीती

महाराष्ट्र में विधान परिषद की छह सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को झटका लगा. छह में से बीजेपी के हिस्से सिर्फ एक ही सीट आई. बाकी पांच सीटों पर शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस के महाविकास आघाड़ी गठबंधन ने जीत दर्ज की. महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ से सत्ता जाने के बाद एक साल के भीतर बीजेपी को दूसरा बड़ा झटका लगा.

विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और एक निर्दलीय को समर्थन दिया था. पार्टी को सबसे बड़ा झटका नागपुर में मिला. बीजेपी का गढ़ होने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फणवीस ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव परिणाम हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं आए. उन्होंने कहा कि हमसे तीनों पार्टियों की सम्मिलित ताकत को आंकने में चूक हुई. हम ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रहे थे जबकि सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली है.

केरल: सत्ताधारी एलडीएफ ने मारी बाजी, एनडीए का प्रदर्शन सुधरा

केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने शानदार प्रदर्शन दिखाया. 941 ग्राम पंचायत के लिए हुए चुनाव में एलडीएफ को 56, यूडीएफ को 375 और बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए को 22 सीटें मिलीं. लेफ्ट शासित राज्यो हेने के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन सुधरा है. पिछले चुनाव में बीजेपी के खाते में सिर्फ 14 सीट ही थीं. विधान सभा चुनाव से पहले इन चुनाव को लिटमस टेस्ट माना जा रहा था. तीन चरणों में 1199 स्थानीय निकाय के चुनाव कराए गए थे. इसमें 941 ग्राम पंचायत, 152 ब्लॉक पंचायत, 86 नगर पालिका और 14 जिला पंचायतों के चुनाव हुए थे. इसके अलावा 6 नगर निगम के भी चुनाव कराए गए थे.