नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ 8 महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ के ऐलान के बाद अब भाजपा भी हरकत में आ गई है। पार्टी ने किसानों तक पहुंचने के लिए बैठकें करने का फैसला लिया है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि किसान आंदोलन के कारण भाजपा को यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है, इसलिए पार्टी इस मुहिम में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
किसान और भाजपा आमने -सामने
दरअसल किसान 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ को लेकर रणनीति तय करेंगे। इस मिशन के तहत संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े नेता यूपी और उत्तराखंड में जाएंगे और भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे। इसी के जवाब में ही भाजपा ने भी यह तय किया है वो 16 से 23 अगस्त तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के बीच पहुंचेंगे। बताया जा रहा है कि भाजपा का किसान मोर्चा किसानों के साथ बैठकें करेगा और उन्हें यह बताएगा कि योगी सरकार ने उनके लिए क्या-क्या किया। भाजपा इस समय में किसान चौपालों का आयोजन करेगी।
भाजपा को यूपी में सियासी खतरा !
बीजेपी जानती है कि किसानों के विरोध के कारण पंचायत चुनाव में उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ख़ासा सियासी नुकसान हुआ है। यहां वह एसपी-आरएलडी के गठबंधन व निर्दलीयों से भी पीछे रही थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा से लेकर मथुरा, मेरठ, बाग़पत और बिजनौर, सहारनपुर तक हुई किसान महापंचायतों ने इस इलाक़े में बीजेपी की सियासी जमीन को हिला दिया है।
भाजपा 16 से 23 अगस्त के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान चौपाल का आयोजन करेगी। इसके बाद 22 से 25 अगस्त तक किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।