बूंदाबांदी और तेज़ हवाओं से सूरतगंज के किसानों की फसल बर्बाद, आर्थिक संकट गहरा

सूरतगंज, बाराबंकी, 25 सितंबर 2025। सूरतगंज इलाके में बुधवार और गुरुवार की आधी रात हुई बूंदाबांदी और तेज़ हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। आलू, धान और गन्ने की फसल पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अचानक आई मौसम की मार से खेतों में हरी-भरी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।

किसानों का कहना है कि आलू की फसल के उचित मूल्य न मिलने के कारण पहले ही आर्थिक संकट झेल रहे थे। बच्चे की पढ़ाई, परिवार के स्वास्थ्य और बेटियों के विवाह के खर्चे पूरे करना मुश्किल हो गया था। अब बार-बार प्राकृतिक आपदा ने उनके संकट को और बढ़ा दिया है। सूरतगंज क्षेत्र के सेमराय निवासी किसान विजयपाल सिंह बताते हैं, “लगातार प्रकृति की मार से हमारी स्थिति दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए।”

नंदऊपारा के किसान कौशल किशोर सिंह टीरु और प्रेम सिंह बाबा ने बताया कि इस नुकसान से किसानों का कर्ज और बढ़ जाएगा। “हमने ऋण लेकर फसल उगाई थी। अब पूरी मेहनत बर्बाद हो गई है। बैंक और साहूकारों का कर्ज चुकाना मुश्किल होगा,” उन्होंने कहा।

किसानों ने यह भी चिंता जताई कि यदि समय पर राहत और बीमा जैसी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराई गईं, तो छोटे और सीमांत किसान आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट सकते हैं। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, धान और गन्ने जैसी फसलों के लिए मौसम का अनुकूल होना बेहद आवश्यक है। अचानक आई आंधी और बारिश से खेतों में पानी भरने के कारण जमीनी फसल को गंभीर नुकसान हुआ है।

इस घटना से क्षेत्र में किसान समुदाय में निराशा और चिंता की लहर दौड़ गई है। किसान नेता भी सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि फसल बीमा और आपात राहत को तुरंत लागू किया जाए, ताकि किसानों को पुनर्वास में मदद मिल सके।

हालांकि प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आंकलन शुरू कर दिया है, लेकिन किसानों का कहना है कि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इस प्राकृतिक आपदा का आर्थिक असर लंबे समय तक दिखाई देगा।