ब्रज रज में होता रहा फिल्मी उत्सव, ब्रज के कलाकार फिर हाशिए पर!

मथुरा। संवाददाता रिपोर्ट।

ब्रज की धरती, जिसकी रज में संस्कृति, कला और भक्ति का संगम है — वहीं अब ब्रज रज उत्सव का रंग फिल्मी हो गया है।
ताज़ा आयोजित ब्रज रज उत्सव को लेकर स्थानीय कलाकारों और समाजसेवियों में नाराजगी तेज़ हो गई है। उनका कहना है कि यह आयोजन अब ब्रज की अस्मिता नहीं, बल्कि बाहरी कलाकारों के लिए ‘शो-स्टेज’ बनकर रह गया है।

पहले ब्रज रज उत्सव में ही कैलाश खेर जैसे नामचीन गायकों को मुख्य मंच दिया गया था, जबकि ठेठ ब्रज संस्कृति से जुड़े कलाकार पीछे छूट गए। हालिया उत्सव में भी यही तस्वीर दोहराई गई। ब्रज संस्कृति के संवाहक कलाकारों को बुलाना तक आयोजकों ने जरूरी नहीं समझा।


ब्रज कलाकारों का विरोध स्वर

मंगलवार को पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया के आवास पर एक बैठक हुई, जिसमें वक्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
समाजसेवी प्रहलाद यादव ने कहा,

“समूचा विश्व ब्रज संस्कृति का दीवाना है। ठेठ ब्रज परंपरा पर आधारित आयोजन भी अपार भीड़ जुटा सकते हैं, लेकिन उसमें निजी लाभ नहीं होगा — यही असली कारण है।”

डा. सीमा मोरवाल ने दिन में स्थानीय कलाकारों के कार्यक्रम और रात में बाहरी कलाकारों को मुख्य प्रस्तुति देने की परंपरा पर असंतोष जताया।
दिलीप कुमार यादव, सदस्य जिला गंगा समिति, ने कहा —

“ब्रज के जनप्रतिनिधियों को ही ब्रज संस्कृति की चिंता नहीं है। पहले उत्सव से ही फिल्मी कलाकारों को बुलाने की परंपरा चली आ रही है, किसी ने इसका विरोध नहीं किया।”

नाट्यविद लोकेंद्र नाथ कौशिक ने ब्रज कलाकारों की उपेक्षा के विरोध में 5 दिन की भूख हड़ताल की थी, पर किसी कलाकार ने उनका साथ नहीं दिया।


“ब्रज संस्कृति का उत्सव, फिल्मी शो न बने”

रासाचार्य अशोक स्वामी ने कहा कि कलाकारों की एकता न होना भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
अन्य वक्ताओं — डा. राजेन्द्र कृष्ण अग्रवाल, दामोदर शर्मा, डोरीलाल गोला, जगदीश ब्रजवासी, अरुण, पूजा अग्रवाल आदि ने कहा कि

“अन्य जनपदों में क्षेत्रीय आयोजनों में बाहरी कलाकारों को मंच नहीं दिया जाता, तो ब्रज में ऐसा क्यों?”

सोशल मीडिया पर भी इस फैसले के खिलाफ तीखे स्वर सुनाई दे रहे हैं।


पद्मश्री को भी नहीं मिली जगह

ब्रज की संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले कलाकारों को भी आयोजकों ने मंच से दूर रखा।
रासलीला के क्षेत्र में स्वामी राम स्वरूप शर्मा,
लोक कलाओं के संरक्षण में मोहन स्वरूप भाटिया,
और श्रीकृष्ण चित्रांकन के लिए कन्हाई चित्रकार को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
फिर भी, इस बार के उत्सव में इन महान हस्तियों या उनके परिजनों को तक आमंत्रण देना जरूरी नहीं समझा गया।


ब्रज के कलाकारों का कहना है कि ‘ब्रज रज उत्सव’ को फिर से ब्रज की आत्मा से जोड़ा जाए, ताकि यह धरती अपने लोक रंग और सांस्कृतिक अस्मिता को खोने से बचा सके।