Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार जारी है। बिहार के चुनाव के समय एक शब्द बहुत बार सुनने को मिलता है और वो है ‘जंगलराज’, जिसे आम तौर पर राजद सरकार के 15 साल के शासन की आलोचना के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में चुनाव प्रचार के जोर पकड़ते ही फिर से इस जंगलराज शब्द का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
Bihar Election: जंगलराज के जिन्न से कितना डटकर मुकाबला कर पाएंगे लालू के लाल ?
पीएम मोदी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार की शुरुआत की और अपनी पहली ही जनसभा में जंगलराज की याद दिला दी। उन्होंने कहा कि ‘फिर एक बार एनडीए सरकार जंगलराज वालों को दूर रखेगा बिहार।’ ऐसा कहा जाता है कि राजद सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान बिहार में अपराध की दर बहुत ज्यादा थी और कानून व्यवस्था कमजोर थी।
ऐसे में विपक्षी पार्टियां लालू सरकार के कार्यकाल को जंगलराज कहकर उसकी आलोचना करती है और अब इतने वर्षों बाद भी राजद के लिए इस शब्द से पीछा छुड़ाना संभव नहीं हो सका है। तो आइए जानते हैं कि कैसे जंगलराज शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ और किसने सबसे पहले इस शब्द का जिक्र किया विपक्षी पार्टियों द्वारा राजद सरकार के लिए जंगलराज शब्द का इस्तेमाल करने से बहुत पहले पटना हाईकोर्ट ने इस शब्द का इस्तेमाल किया था।
दरअसल एक नागरिक मामले की सुनवाई के दौरान अगस्त 1997 में जस्टिस वीपी सिंह और जस्टिस धर्मपाल सिन्हा की खंडपीठ ने राजद सरकार की आलोचना करते हुए जंगलराज शब्द का इस्तेमाल किया था। दरअसल एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पटना में बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या, नालों की सफाई न होने को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी।
उस समय अपनी टिप्पणी में नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि ‘हालात जंगलराज से भी खराब हैं और कोर्ट के निर्देशों और जनहित की भी कोई परवाह नहीं की जा रही है। आपको बता दू जिसके बाद लालू यादव की पहचान एक बेहद ही सुलझे हुए और जमीनी नेता की है।
जब विपक्षी पार्टियों ने कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाते हुए उनकी सरकार के लिए जंगलराज शब्द का इस्तेमाल किया तो लालू यादव ने बड़ी ही चतुराई से इस आलोचना को ही अपना हथियार बनाया। लालू यादव जनता को ये समझाने में सफल रहे कि विपक्षी जंगलराज खत्म करने की बात करके असल में गरीबों और पिछड़ों के राज को खत्म करना चाहते हैं।
लालू यादव को इस राजनीति कौशल का फायदा मिला और साल 2000 में बिहार में फिर से राजद की सरकार बनी और राबड़ी देवी सीएम बनीं। लेकिन अभी भी राजद जंगलराज शब्द से पीछा नहीं छुड़ा पाई है। तेजस्वी यादव की आज सबसे बड़ी चुनौती राजद की जंगलराज वाली छवि से छुटकारा है।
तेजस्वी यादव कहते हैं कि राजद सरकार में जंगलराज की बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, लेकिन उनकी लाख कोशिशों के बावजूद राजद अभी तक जंगलराज शब्द से पीछा नहीं छुड़ा पाई है और यही वजह से आज भी चुनाव आते ही विपक्ष जंगल राज शब्द के साथ हावी होने लगती है
- Bihar Election: जंगलराज का जिन्न फिर बोतल से बाहर आया बिहार की सियासत में कैसे बना लालू का सबसे बड़ा हथियार?
- लखनऊ के रेलवे हॉस्पिटल में भीषण आग, 12 मरीजों को बचाया गया — तीन मंजिला अस्पताल में मचा हड़कंप
- लोकतंत्र की दीवार पर सवाल, डीएफओ की मनमानी ने खोली जनता की परेशानियों की पोल
- गहर्रा कला में किसानों ने पीएम मन की बात के दौरान डीएपी की उपलब्धता की मांग की
- भांजे की शादी में गए परिवार के घर में लाखों की चोरी