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रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने शुरू की छापेमारी- Amar Bharti Media Group उत्तर प्रदेश

रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने शुरू की छापेमारी

42 ठिकानों पर कर रही तलाशी

लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी में समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुए रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई ने लखनऊ सहित कई जगहों पर छापेमारी शुरू कर दी है। बता दें कि सीबीआई यूपी समेत पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी कर रही है। वहीं सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

सुपरिटेंडेंट और अधिशासी इंजीनियरों के खिलाफ केस

आपको बता दें कि सीबीआई उत्तरप्रदेश में राजधानी लखनऊ के अलावा कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ़, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा में एक साथ छापेमारी कर रही है। वहीं 13 जिलों में छापे, और 42 ठिकानों पर अभी भी तलाशी हो रही है।इसके अलावा सीबीआई ने कई सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियरों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।

सिंचाई विभाग की ओर से दर्ज किया गया केस

सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश सरकार के आदेश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 में नया मुकदमा दर्ज किया था।

सीबीआई कर रही पूछताछ

रिवरफ्रंट घोटाले में शामिल इंजीनियरों से पूछताछ कर रही है टीम। इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (अब सेवानिवृत्त) गुलेश चंद, एसएन शर्मा व काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (अब सेवानिवृत्त) शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह व रूप सिंह यादव तथा अधिशासी अभियंता सुरेश यादव नामजद हैं। सीबीआई ने छानबीन शुरू भी कर दी। उसने सिंचाई विभाग से हासिल पत्रावलियों की जांच करने के अलावा कुछ आरोपियों से पूछताछ भी की।

सरकारी धन का किया बंदरबाट

बता दें कि सीबीआई इस आरोप की छानबीन कर रही है को प्रोजेक्ट के जरिए निर्धारित कार्य को पूरा किए बिना ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि कैसे खर्च हो गई? शुरुआती जांच के मुताबिक प्रोजेक्ट में मनमाने तरीके से खर्च दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। यह प्रोजेक्ट लगभग 1513 करोड़ रुपये का था, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये काम खर्च हो जाने के बाद भी 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया। आरोप यह भी है कि जिस कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया था, वह पहले से डिफाल्टर थी।

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