चाणक्य के अनुसार धन के बिना मनुष्य का जीवन संकटों से भर जाता है. भौतिक संसार में धन एक जरूरी साधन है. धन पास में होने से मनुष्य बड़ी से बड़ी परेशानियों को भी आसानी से झेल जाता है. लेकिन जब धन नहीं होता है और मां लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त नहीं होता है तो जीवन दुखों से भर जाता है. अपने पराए सभी साथ छोड़ जाते हैं. व्यक्ति दुख के जंगल में अकेला खड़ा रह जाता है.
चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे. विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय में चाणक्य शिक्षण कार्य करते थे. चाणक्य इस विश्व विद्यालय में पढ़े और बाद में अपनी योग्यता से वे इसी विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हुए. चाणक्य अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ थे. अर्थशास्त्र के साथ साथ चाणक्य को राजनीति, कूटनीति और सैन्य शास्त्र की भी गहरी समझ थी.
चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति को धन के मामले में लापरवाह नहीं होना चाहिए. संसार के सुख प्राप्त करने में धन का विशेष महत्व है. इसलिए चाणक्य ने लक्ष्मी जी को धन की देवी माना है. चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति धन के मामले में चिंतित नहीं होता है और धन की देवी लक्ष्मी का आदर सम्मान नहीं करता है, लक्ष्मी जी बहुत ही जल्द ऐसे लोगों का साथ छोड़ देती हैं. जीवन में लक्ष्मी जी का आर्शीवाद चाहिए तो चाणक्य की इन बातों को हमेशा याद रखें-
परिश्रम करने वालों से लक्ष्मी जी रहती हैं प्रसन्न
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति परिश्रम से मुंह नहीं मोडता है और हर समय परिश्रम करने के लिए तैयार रहता है ऐसे लोगों को लक्ष्मी जी देर सबेर अपना आर्शीवाद जरूर प्रदान करती हैं. इसलिए व्यक्ति को परिश्रम करने से कभी भी नहीं घबराना चाहिए.
किसी को धोखा न दें
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति बिना परिश्रम के दूसरे के धन को धोखे से प्राप्त करने की कोशिश करता है उससे लक्ष्मी जी कभी प्रसन्न नहीं रहती हैं. लक्ष्मी जी ऐसे व्यक्ति का साथ बहुत जल्द छोड़ देती हैं. इसके बाद व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सत्य का मार्ग अपनाएं
चाणक्य के अनुसार लक्ष्मी जी सदैव उसी व्यक्ति को अपना आर्शीवाद देती हैं जो सत्य और इंसानियत के मार्ग पर चलता है. लक्ष्मी जी ऐसे लोगों को अपना भरपूर आर्शीवाद देती हैं ऐसे लोगों की कभी धन की कमी नहीं रहती हैं. ऐसे लोगों के जीवन में हर प्रकार के सुख और सुविधाएं प्राप्त होती हैं.