रामायण और महाभारत की पौराणिक कथाओं में छठ पूजा का मिलता है ज़िक्र

आज नहाय खाय के साथ छठ पर्व का आगाज़ हो चुका है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहले दिन नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना होता है जिसमें छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है और फिर तीसरे व चौथे दिन दिया जाता है सूर्य को अर्घ्य.

छठ पूजा का बहुत ही महत्व है. बिहार में इसे दिवाली से भी बढ़कर पर्व माना गया है. इसी महत्ता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रामायण और महाभारत में भी छठ पूजा का जिक्र मिलता है.

पौराणिक कथाओं की माने तो रामायण और महाभारत में भी छठ पूजा के बारे में ज़िक्र मिलता है. कहा जाता है कि रामायण में माता सीता तो महाभारत में द्रौपदी और कर्ण ने छठ पूजा की थी.

रामायण का छठ पूजा से संबंध

हालांकि इन तथ्यों में कितनी सच्चाई है इस बात पर संशय है लेकिन पौराणिक कथा की माने तो त्रेता युग में भगवान राम ने जब रावण का वध किया तो उन्हें ब्राह्मण हत्या के पाप से बचाने के लिए ऋषि मुनियों ने राजसयू यज्ञ का फैसला लिया.

इसके लिए ऋषि मुग्दल को बुलाया गया लेकिन ऋषि ने भगवान राम और माता सीता को अपने ही आश्रम में आने को कहा. तब आश्रन में माता सीता ने छठ पूजा की थी.

महाभारत में कर्ण ने की थी छठ पूजा

ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में भी छठ पूजा की गई थी. सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य की उपासना कर इस त्यौहार को मनाया था.

21 नवंबर तक चलेगा छठ पर्व

छठ पूजा का कार्यक्रम 4 दिनों तक चलता है. आज इस पर्व में पहले दिन नहाय खाय की रस्म अदा हुई तो वहीं दूसरे दिन यानि कि कल 19 नवंबर को खरना की रस्म होगी.

इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है और जब प्रसाद बन नहीं जाता तब तक कुछ भी खाने की मनाही होती है.

प्रसाद बनाने के बाद व्रती खीर ग्रहण करते हैं लेकिन फिर व्रत का पारण होने तक अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता है.

तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया से संतान की खुशहाली व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है तो वहीं चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत संपन्न होता है.