छोटे-छोटे बच्चों के खिलाफ मुकदमा, भविष्य पर संकट

थाना बरहन पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, विधायक ने दिलाया न्याय का भरोसा

आगरा। थाना बरहन पुलिस का नया कारनामा सामने आया है। बिना जांच किए छोटे-छोटे बच्चों के विवाद को बड़ा बनाकर पुलिस ने पांच नाबालिग बच्चों सहित आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। इस कार्रवाई ने न केवल बच्चों के परिवार को हिलाकर रख दिया बल्कि उनके भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बच्चों के बीच हुआ विवाद, मुकदमा बना अपराध

गांव नगला ताज में बच्चों के बीच मामूली विवाद हुआ। बताया गया कि एक बच्चा सिगरेट पी रहा था, जिसकी शिकायत उसके घर कर दी गई। इसी बात को लेकर बच्चों के बीच मारपीट हो गई। शिकायतकर्ता महिला मिथलेश देवी पत्नी सत्यवीर ने थाने में तहरीर दी कि उनके बेटे के साथ मारपीट हुई है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया, पर यह नहीं देखा कि इसमें नामजद अधिकतर नाबालिग बच्चे हैं।

11 से 17 साल के बच्चों पर दर्ज हुआ मुकदमा

मुकदमे में शामिल बच्चों की उम्र 11, 12, 13, 15 और 17 वर्ष बताई जा रही है। इनमें से कई 7वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ते हैं। मुकदमे की जानकारी मिलते ही बच्चे भयभीत हो गए। कई बच्चों ने स्कूल जाना तक छोड़ दिया है, उन्हें डर है कि रास्ते में पुलिस पकड़ न ले।

बिना जांच मुकदमा दर्ज करने पर उठे सवाल

आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार रोज थाना अध्यक्षों के साथ बैठक कर निर्देश देते हैं कि बिना जांच किसी पर मुकदमा दर्ज न हो। बावजूद इसके बरहन पुलिस ने बिना जांच बच्चों को अपराध की दुनिया की ओर धकेल दिया। बाद में जब इस पर सवाल उठा तो पुलिस का जवाब आया – “गलती से मुकदमा लिख गया होगा, खत्म कर दिया जाएगा।” लेकिन सवाल यह है कि ऐसी गलती आम आदमी करे तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।

विधायक से मिले पीड़ित परिजन

तहसील एत्मादपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में पीड़ित परिजन और बच्चे क्षेत्रीय विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह से मिले। आंसुओं से भरे बच्चों को देखकर विधायक भावुक हो गए और उन्होंने तुरंत एसीपी एत्मादपुर को फोन किया। एसीपी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया कि मामले को खत्म किया जाएगा और किसी बच्चे को जेल नहीं जाना पड़ेगा।

बच्चों का भविष्य दांव पर

कानून के जानकारों का कहना है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद रिकॉर्ड हमेशा बना रहता है। भले ही मुकदमा खत्म कर दिया जाए, लेकिन बच्चों के माथे पर यह दाग बना रहेगा। सवाल यह है कि आखिरकार पुलिस किस दबाव में नाबालिग बच्चों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करती है और उनके भविष्य को अंधकार में क्यों धकेलती है?


पुलिस प्रशासन से अपील

समाज के भविष्य इन मासूम बच्चों को अपराध की दुनिया में धकेलने वाली ऐसी जल्दबाजी भरी कार्यवाही पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। जिला व मंडल स्तर के वरिष्ठ अधिकारी इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करें। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि नाबालिग बच्चों को अनावश्यक मुकदमों में न फंसाया जाए, ताकि उनका बचपन और भविष्य सुरक्षित रह सके।