
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बच्चों में बौनेपन की समस्या गंभीर होती जा रही है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह समस्या तेजी से सामने आ रही है। 34 जिलों में ऐसे 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे हैं जिनकी लंबाई उम्र के अनुसार नहीं बढ़ रही है। यह स्थिति चिंताजनक है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से संसद में पेश रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का चित्रकूट जिला 59.58% बौनेपन की दर के साथ देशभर में तीसरे स्थान पर है। यह जानकारी केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने 25 जुलाई को लोकसभा में सीपीआई सांसद सुदामा प्रसाद और टीडीपी सांसद श्रीभरत मथुकुमिलि के प्रश्नों के लिखित उत्तर में दी।
देश के 63 जिलों में बौनेपन की दर 50 प्रतिशत से अधिक है, जिनमें से 34 जिले अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में बौनेपन की दर सबसे अधिक 68.12% दर्ज की गई है, जबकि झारखंड का पश्चिम सिंहभूम 59.48% के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश का चित्रकूट 59.44% के साथ तीसरे स्थान पर है।
उत्तर प्रदेश के बांदा, संभल, फिरोजाबाद, जौनपुर, हमीरपुर, बरेली, अमरोहा, सीतापुर और एटा जैसे जिले भी इस सूची में टॉप 10 में शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जून 2025 तक देशभर में 7.36 करोड़ बच्चे आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत हैं, जिनमें से 7 करोड़ बच्चों की लंबाई और वजन का डाटा एकत्र किया गया। इस डाटा से सामने आया कि कई जिलों में 50% से अधिक बच्चे बौनेपन से ग्रसित हैं।
गौरतलब है कि यूपी के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने हाल ही में दावा किया था कि संभव अभियान 4.0 के तहत कुपोषण और एनीमिया की दर में कमी आई है। NFHS-5 के अनुसार तीव्र कुपोषण की दर 2019-21 के 17.3% से घटकर 4% और अल्पवजन बच्चों की दर 34.5% से घटकर 20% हो गई है। इस आधार पर 7 जुलाई 2025 को संभव अभियान 5.0 की शुरुआत भी की गई।
हालांकि, संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट इन दावों पर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बौनेपन की समस्या केवल पोषण की कमी से नहीं जुड़ी, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, स्वच्छता की कमी, शिक्षा की अनुपलब्धता और आर्थिक असमानता जैसे गहरे सामाजिक कारणों से भी जुड़ी है।
रिपोर्ट में यूपी के कई जिलों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक बताई गई है:
चित्रकूट – 59.44%
बांदा – 59.33%
संभल – 56.79%
फिरोजाबाद – 56.37%
जौनपुर – 54.89%
हमीरपुर – 54.72%
इसके अलावा हापुड़, मुजफ्फरनगर, सोनभद्र, मिर्जापुर, फर्रुखाबाद, उन्नाव, कौशांबी, मैनपुरी, सुलतानपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, पीलीभीत, बदायूं, प्रतापगढ़, गोंडा, सिद्धार्थनगर, हरदोई, फतेहपुर, आगरा, ललितपुर, महोबा, लखनऊ, रायबरेली और मुरादाबाद जैसे जिले भी बौनेपन से प्रभावित हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बौनेपन की समस्या बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है। इसे केवल पोषण योजनाओं से नहीं, बल्कि संपूर्ण सामाजिक सुधारों के जरिये ही दूर किया जा सकता है।