चित्रांश समाज ने श्रद्धा व उल्लास के साथ की कलम-दवात व भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा

कुशीनगर। पडरौना नगर के रामकोला रोड स्थित “चित्रगुप्त धाम” में भगवान श्री चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुई। यम द्वितीया (भैया दूज) के अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित चित्रांश समाज के वंशजों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना की और सामूहिक हवन व महाआरती कर पूर्णाहुति दी।

मंदिर के पीठाधीश्वर अजयदास महाराज और गायत्री मंदिर के अतुल जी ने पूजा-अर्चना संपन्न कराई। समाज के लोगों ने भगवान श्री चित्रगुप्त की प्रतिमा के समक्ष लिखित नमन कर कलम-दवात की विशेष पूजा की। इस दौरान भगवान के नामों का लेखन कर उन्हें प्रतिमा के समक्ष अर्पित किया गया।

पीठाधीश्वर अजयदास महाराज ने भगवान श्री चित्रगुप्त की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “लेखन संबंधी कार्य करने वालों के साथ-साथ अकाल मृत्यु से बचने के लिए भी चित्रगुप्त पूजा हर वर्ग के लोगों को करनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं में एकता का देश है और यहां प्रत्येक पर्व सबके लिए समान महत्व रखता है।

इस अवसर पर सदर विधायक मनीष जायसवाल और विशुनपुरा ब्लॉक प्रमुख विन्ध्यवासिनी श्रीवास्तव ने भी भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। विधायक ने कहा कि “लेखन कार्य करने वाला हर वर्ग भगवान श्री चित्रगुप्त का कृपापात्र है,” वहीं ब्लॉक प्रमुख ने भगवान चित्रगुप्त को “दुनिया के प्रथम न्यायाधीश” बताया जो सबके कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।

कार्यक्रम में चित्रगुप्त मंदिर समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र वर्मा, महासचिव संजय चाणक्य, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश सचिव सुनील श्रीवास्तव, अतुल श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, सतीश श्रीवास्तव, डा. संतोष श्रीवास्तव, विष्णु श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव सहित सैकड़ों चित्रांश बंधु और अन्य समाजों के लोग उपस्थित रहे।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्री चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार, जब यमराज ने ब्रह्मा जी से पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने के लिए सहयोगी की मांग की, तब ब्रह्मा जी की तपस्या से उनकी काया से एक दिव्य पुरुष उत्पन्न हुए, जिन्हें “चित्र में गुप्त” होने के कारण चित्रगुप्त नाम मिला और उनकी जाति कायस्थ कही गई।