
लखनऊ। 5 जुलाई की सुबह लखनऊ के बख्शी का तालाब इलाक़े में एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ जिसने तीन मासूम बच्चों की हँसती-खेलती ज़िंदगी को एक पल में वीरान कर दिया। भरवारा गांव के गड़ेरियन पुरवा की 15 साल की आराध्या, 9 साल की साक्षी और 2 साल का शैलेन्द्र — इन तीनों बच्चों ने एक ही झटके में अपने मां-बाप को खो दिया।
घर की रौनक, ममता का आँचल और पिता की छांव — सब कुछ ख़ामोश हो गया। हादसे के बाद गांव में सन्नाटा पसरा रहा, तीनों बच्चों की आंखों में बस सवाल थे — अब क्या होगा?
उम्मीद की रौशनी तब नज़र आई जब इलाके के भाजपा विधायक योगेश शुक्ला ने इस मामले को दिल से उठाया और बच्चों की परेशानी को सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया। जब सीएम योगी को बच्चों की हालत के बारे में पता चला, तो उन्होंने न सिर्फ तुंरत संज्ञान लिया, बल्कि संवेदनशीलता दिखाते हुए बड़ा फैसला भी लिया।
मुख्यमंत्री ने साफ़ किया कि सरकार अब इन बच्चों की ज़िम्मेदारी लेगी — जैसे कोई अपने खुद के बच्चों के लिए सोचता है। सीएम ने निर्देश दिया कि बच्चों को जल्द से जल्द एक सुरक्षित और स्थायी घर मुहैया कराया जाए, ताकि उन्हें ना सिर्फ छत मिले बल्कि इज़्ज़त और भरोसा भी मिले।
मुख्यमंत्री योगी ने बच्चों के लिए जो व्यवस्था की, उसमें शामिल हैं:
तीनों बच्चों को बाल सेवा योजना के तहत हर महीने ₹4,000 प्रति बच्चा यानी कुल ₹12,000 की आर्थिक मदद मिलेगी।
मृत माता-पिता के नाम पर ₹5 लाख की बीमा सहायता स्वीकृत की गई है।
शिक्षा, इलाज और ज़रूरी खर्चों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से नियमित मदद दी जाएगी।
स्थायी आवास की भी व्यवस्था की जा रही है, ताकि बच्चों को दोबारा कभी बेसहारा महसूस न हो।
विधायक योगेश शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस संवेदनशीलता और तेज़ी से ये कदम उठाया, वो बताता है कि वो सिर्फ एक मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक सच्चे जनसेवक हैं। उन्होंने कहा — “अब ये बच्चे अकेले नहीं हैं, सरकार इनके साथ खड़ी है।”