नई दिल्ली: चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कमर कसते हुए कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है. केरल और असम जहां कांग्रेस सत्ता में वापसी की संभावना देख रही है वहां मुख्यमंत्रियों को चुनाव जिताने की जिम्मेवारी सौंपी गई है. कांगेस पार्टी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष ने चुनाव प्रचार प्रबंधन और समन्वय के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है. ये सभी राज्यों के प्रभारियों के साथ मिलकर काम करेंगे.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महासचिव मुकुल वासनिक और बिहार के विधायक शकील अहमद खान को असम का पर्यवेक्षक बनाया गया है. केरल के पर्यवेक्षक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हों फलेरिओ और कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर बनाए गए हैं. गौरतलब है कि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल हैं. असम में उसका मुकाबला बीजेपी से है तो केरल में सीपीएम से. केरल में पांच सालों के बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है तो वहीं असम में कांग्रेस बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को साथ में लेकर बीजेपी को हराने की रणनीति बना रही है.
वहीं तमिलनाडु और पुडुचेरी के लिए वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली, पूर्व केंद्रीय मंत्री पल्लम राजू और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत को पर्यवेक्षक बनाया गया है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार है. वहीं तमिलनाडु में कांग्रेस डीएमके के सहारे है.
पश्चिम बंगाल के लिए वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद, झारखंड सरकार में मंत्री आलमगीर आलम और पंजाब सरकार में मंत्री विजय इंदर सिंगला को पर्यवेक्षक बनाया गया है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी की लड़ाई में कांग्रेस वामदलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है और उसका लक्ष्य किंगमेकर बनने का है.
पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में मुकुल वासनिक और वीरप्पा मोइली वो दो नाम हैं जो सोनिया गांधी को ‘शिकायती पत्र’ लिखने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे. यानी इस तरह कांग्रेस आलाकमान ने सबको साथ लेकर चलने का संदेश दिया है. एक अहम बात यह भी है जिस तरह चुनाव से काफी पहले कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है उससे लगता है कि पार्टी ने बिहार चुनाव से कुछ सबक जरूर सीखा है.