नई दिल्ली। रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस गुटों में विवाद जारी है। पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर उनका विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। अब चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि चिराग पासवान गुट अंतिम निर्णय तक नए नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हेलीकॉप्टर चिह्न का इस्तेमाल करेगा, जबकि पशुपति नाथ पारस गुट नए नाम राष्ट्रीय पार्टी लोकजनशक्ति और चुनावी प्रतीक मशीन का इस्तेमाल करेगा।
चुनावी चिन्ह “बंगले”
चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस गुट अब आने वाले दिनों में दो संसदीय सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को नामित करने के लिए चुनाव आयोग के नामों और प्रतीकों का उपयोग कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस गुटों को लोक जनशक्ति पार्टी या उसके चुनावी चिन्ह “बंगले” के नाम का उपयोग करने से तब तक प्रतिबंधित कर दिया है जब तक कि दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच विवाद का समाधान नहीं हो जाता।
चुनाव चिह्न को लेकर चल रहा है विवाद
आपको बता दें कि करीब तीन महीने पहले पारस ने लोक जनशक्ति पार्टी के चार अन्य सांसदों के समर्थन से दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे और उनके भतीजे चिराग पासवान के खिलाफ सफलतापूर्वक बगावत कर दी थी और लोक में पार्टी के नेता बने थे! सभा और पार्टी के राष्ट्रीय नेता को अध्यक्ष चुना गया। लोक जनशक्ति पार्टी के चार अन्य सांसदों के समर्थन से पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता और पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। तभी से दोनों के बीच पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर विवाद चल रहा है।