Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
धर्मान्तरण ने बदली मनुष्य की जीवन शैली- Amar Bharti Media Group सम्पादकीय

धर्मान्तरण ने बदली मनुष्य की जीवन शैली

विजय शंकर पंकज– धर्मान्तरण ने मनुष्य की जीवन शैली बदल दी है। धर्म अपनाने को मनुष्य स्वतंत्र नही रह गया। धर्म अब व्यक्ति पर थोपा जा रहा है। इसी के साथ मनुष्य की पूरी जीवन शैली, परिवार और समाज के अचार विचार से लेकर पूजा पद्धति को भी एक प्रक्रिया में बांध दिया गया है। हालात यह है कि एक ही धर्म और उसके मानने वालो के अलग अलग पद्धति और कर्मकांड है। ईसाइ और इस्लाम ने धर्म को मानवीय संघर्ष का जरिया बना दिया। विश्व में राज्य सत्ता के लिए जितनी लड़ाईया नही हुई, उससे ज्यादा धर्म स्थापना और उसको मानने वालों को विवश करने के लिए हिंसा हुई।


ईसाइ धर्म अपनाने के लिए दूसरे धर्म के व्यक्ति को बपतिस्मा लेना होता है जबकि इस्लाम के लिए मौलवी दो लोगो की गवाही के बाद शाहदा प्रमाण पत्र जारी करता है। विश्व में आज भी सबसे ज्यादा संघर्ष ईसाई और इस्लाम धर्मावलम्बियों के बीच है। विश्व में सर्वाधिक 32.11 प्रतिशत लोग ईसाइ है तो 24. 90 प्रतिशत इस्लाम समर्थक है। कोई धर्म न मानने वाले नास्तिक की संख्या 15.58 प्रतिशत है तो हिन्दू धर्मावलम्बी 15.16 प्रतिशत है।


दुनिया में तीन ऐसे बड़े धर्म है जिनके कारण धर्मान्तरण शब्द अस्तित्व में आया। इसमें सबसे पहले बौद्ध, ईसाइ और इस्लाम है। इन तीनों धर्मो के धर्मावलम्बियों ने अपने प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सत्ता और दबाव का सहारा लिया। इन तीनों धर्मो के लोगो ने हिन्दुओं, यहूदियो और अन्य छोटे मोटे धर्मो के अनुयायियों को अपने में मिलाया। आर्यावर्त में वैदिक काल से लेकर आर्यो ने हिन्दू और जैन धर्म को स्थापित किया।
भारत में धर्म परिवर्तन का बहुत बड़ा पुराना इतिहास है। आजादी के बाद भारत की 30 करोड़ की आबादी में 3 करोड़ मुसलमान तथा 80 लाख इसाई जनसंख्या थी। अब देश की जनसंख्या बढ़कर लगभग 140 करोड़ हो गयी है। इस अनुपात में मुस्लिम आबादी बढ़कर लगभग 20 करोड़ तो इसाई जनसंख्या लगभग 2.60 करोड़ हो गयी है। भाजपा से पूर्व की सरकारो में धर्मान्तरण की घटनाओं को गंभीरता से नही लिया जाता था। इसाई मिशनरिया तथा इस्लामिक संस्थाएं विभिन्न तरीको से गरीब हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराते रहते थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विभिन्न शाखाएं इसका स्थानीय स्तर पर विरोध भी करती परन्तु इसे रोकने के लिए कोई सार्थक पहल नही की जाती। जनसंघ ने भारतीय अस्मिता के नाम पर 1965 से लेकर 1969 तक लंबा जनजागरण अभियान भी चलाया। इसाई तथा इस्लामिक संस्थाएं धर्म परिवर्तन किये हिन्दुओं को गोमांस खिलाकर इस बदलाव की घोषणा करते थे। केरल में अब भी ऐसी छिटपुट घटनाएं देखने को मिलती है। जनसंघ के विरोध का असर हुआ कि पहली बार कांग्रेस की सरकार को गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाना पड़ा।


मोदी सरकार ने धर्म परिवर्तन के मामले को गंभीरता से लिया है। भाजपा शासित राज्यों में अब धर्म परिवर्तन की घटनाएं कम ही देखने को मिलती है। इसके बाद भी कुछ इस्लामिक संगठनो ने इसके लिए दीर्घकालीन गोपनीय कार्ययोजना बना रखी है। उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन कराने वाले कुछ लोगो के पकड़े जाने के बाद योगी सरकार सक्रिय हो गयी है और इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
भारत की धार्मिक व्यवस्था — भारत में धर्म परिवर्तन या वैचारिक बदलाव का पुराना इतिहास रहा है। विश्व का सबसे पुराना धार्मिक व्यवस्था आर्यावर्त में ही स्थापित हुई। विश्व का सबसे पुराना धर्म वैदिक धर्म को कहा जाता है। ऋगवेद विश्व को सबसे पुरानी किताब कहा जाता है। ऋगवेद काल में सामाजिक जीवन बहुत कुछ व्यवस्थित नही था। लोग कबीलो के रूप में रहते थे। इस काल में एकेश्वरवाद की धारणा नही थी। हर कबीला अपने हिसाब से विभिन्न देवी देवताओं की पुजा करता था। इसी काल में लगभग 20 हजार वर्ष पूर्व आर्यो ने पूरे मानवीय जीवन प्रक्रिया को बदल दिया। संसार में सबसे पहले शासक और राज्य व्यवस्था स्थापित करने वाले स्वयभू मनु थे जिन्हे ब्राह्मा का पुत्र कहा जाता है। मनु और उसके पुत्रों ने पूरे जम्बूदीप को साथ खंडो में विभाजित कर सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था स्थापित की। इस काल खंड में हिन्दुकुश पर्वत के नीचे समस्त पश्चिम – पूर्व एवं दशिण का भाग आर्यावर्त एवं जम्बूदीप कहा जाता है। यही कारण है कि अब भी भारतीय पूजा पद्धति और कर्मकांड में जम्बूदीपे उच्चारण होता है। जम्बूदीप खंड में इस समय 23 देश है जिसका एक बड़ा हिस्सा भारत वर्ष है।


वैदिक काल में ब्रााह्मण व्यवस्था स्थापित हुई। वैदिक व्यवस्था एकेश्वरवादी थी तो दूसरे विचार वाले अनिवश्रवादी हुए जिन्हे अवैदिक हुए। इन दोनो विचार धारा वालो ने अपने मतो का प्रचार करना शुरू किया। इसमें ब्रााह्मण वैदिक विचारधारा के थे तो दूसरे श्रमण कहलाये। अनिश्वरवादी श्रमणो के मत से ही कालान्तर में जैन धर्म की स्थापना हुए जिसमें बड़ी संख्या में क्षत्रिय एवं व्यापारी वर्ग शामिल हुआ। वैदिक धर्म की स्थापना में त्रेता काल में भगवान राम तथा द्वापर में कृष्ण ने नये मानक एवं नयी परम्पराये स्थापित कर उसे सुदृढ़ किया। बाद में वैदिक व्यवस्था में काफी मत मतान्तर हो गये। इसी बीच 563 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध का जन्म हुआ। बुद्ध ने वैदिक व्यवस्था में आयी खामियो को दूर करने के लिए मानव कल्याण के लिए नयी धार्मिक व्यवस्था स्थापित की जिसमें अभी तक विभिन्न ज्ञान का सार संदर्भित किया गया। बुद्ध के संसार त्याग के बाद भी उनके शिष्यों में मतैक्य बढ़ा और उसकी भी कई शाखाएं बढ़ी। बौद्ध भिक्षुओं ने बौद्ध धर्म को जम्बूद्वीप से भी आगे ले जाकर तथा उसके अन्य भूभाग में अपने प्रचार प्रसार किया।


विश्व में धार्मिक बदलाव — विश्व में धर्म परिवर्तन के लिए हिंसा और जबरन अपने पक्ष में शामिल करने की शुरूआत ईसाई और इस्लाम के अनुयाइयों ने की। इसे धर्म युद्ध की संज्ञा दी गयी। इसाई इसे क्रुसेड कहते है तो इस्लाम के मानने वाले जिहाद कहते है। पहला क्रुसेड 1096 – 1099 के बीच हुआ जब जैंगी के नेतृत्व में मुसलमान दमिश्क में एकजुट हुए और अरबी भाषा के शब्द जिहाद का इस्तेमाल किया। दूसरी जंग 1144 इस्वी में फ्रांस के राजा लुई और जैंगी के गुलाम नुरूदीन के बीच हुआ। तीसरे युद्ध 1191 में उस काल के पोप ने इसकी कमान इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड प्रथम को सौप दी। इस समय यरूशलम पर सलाउद्दीन ने कब्जा कर लिया था। भारत में सबसे पहले बौद्धो ने सत्ता के सहयोग से धर्मान्तरण किया तो बाद में ईसाई और इस्लाम में भारी बदलाव किया। ईसाई और इस्लाम के बढ़ते दबाव के कारण काफी संख्या में यहूदी भी अपना इलाका छोड़कर भारत भाग आये। इस्लाम से पहले अरब तथा यूरोपीय राज्यों में ज्यादातर यहूदी धर्म का ही प्रभाव था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *