भारत पूरे विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत का लोहा माना. भारत के वैज्ञानिक, इंजीनियर आदि देश विदेश में देश का नाम रोशन कर रहे है. देश में निम्न पद से लेकर उच्च पद तक के ईमानदार और अपने कार्य को समर्पित एक छोटा समूह देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रहे है. अगर सभी सरकारी और निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी अपना कार्य पूरी ईमानदारी और लगन से करें, तो देश का विकास कितनी तेजी से होगा. अधिकतर अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं, जिससे देश में गरीबी, बेरोजगारी और अपराध को बढावा मिलता है.
भ्रष्टाचार देश की सबसे बड़ी समस्या है, जिसके लिए सभी राजनेता और उनके राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं. भ्रष्टाचार भारतीय राजनीति से शुरू होता है और सरकार के निम्न स्तर तक के कर्मचारी तक बहुत फलता-फूलता है. अगर इस पर काबू कर लिया जाये, तो भारत का कोई भी गरीब नागरिक भूखा नही सोयेगा, सबको रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा आदि सभी मूलभूत सुविधाएं बिना किसी समस्या के मिलने लगेगी.
अधिकतर राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स देश में भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार हैं, जिनका अनुसरण उनके अधीनस्थ सरकारी और निजी क्षेत्र के अधिकतर कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक करते हैं. उनके द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार पूरे भारत में कैंसर की तरह फैल गया है. जिसका बुरा असर हम सब नागरिको पर पड़ता है. कोई भी नागरिक ऐसा नहीं होगा, जिसने अपने जीवन में भ्रष्टाचार का सामना न किया हो.
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की आवश्यकता ही यह साबित करती है कि भारत में भ्रष्टाचार कितनी बुरी तरह से फैल चूका है. भ्रष्टाचार पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 भी पूरी तरह से नियंत्रण नहीं कर पा रहा है. सूचना के अधिकार अधिनयम 2005 के तहत सभी सरकारी कार्यलयो और विभागों में नियुक्त बहुत से लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा प्रार्थी को भ्रामक सूचना प्रदान करना, यह दर्शाता है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 ही खुद भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगा पा रहा है. जहां उसे इन भ्रामक सूचना के खिलाफ सम्बंधित सूचना आयोग(केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग) में द्वितीय अपील के बाद, सूचना आयोग में सुनवाई के लिए एक लम्बे समय का इंतज़ार करना पड़ता है, जिससे प्रार्थी का मनोबल गिरता है और उसे या तो सिस्टम में चल रहे भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करके जीना पड़ता है या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए उत्पीड़न को झेलना पड़ता है.
भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सरकार कितने भी सख्त कानून क्यों न बना ले, लेकिन जब तक उन कानूनो का पूरी ईमानदारी से जनता के लिए उपयोग नहीं होगा, भ्रष्टाचार पनपता ही रहेगा. जब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ सब भारतीय नागरिक एक नहीं होंगे, तब तक भ्रष्टाचार को जन्म देने वाले अधिकतर राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स अपने नापाक इरादों को अंजाम देते रहेंगे.
भारत का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नही रहा है, हमे अपने घरों और कार्यलयों में बैठे बैठे इसके खिलाफ अपने विचारो को व्यक्त करने से अच्छा है कि हमे इसके लिए अधिक से अधिक लोगो को जागरूक कर, अपने मताधिकार के प्रयोग के समय में, बड़ी समझदारी और ईमानदारी से अपने वोट का प्रयोग करना चाहिए. जिससे हम राजनीति में योग्य और ईमानदार राजनेताओ का प्रवेश करा सकें. जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगना शुरू हो जायेगा.