Delhi Pollution: अभी जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं, वो कल जहर बन सकती है, उत्तर भारत के खेतों से उठता धुआं आने वाले दिनों में दिल्ली की सांसों पर भारी पड़ सकता है, फिलहाल राजधानी की हवा साफ है लेकिन खतरे की घंटी बज चुकी है। उत्तर भारत में पराली जलाने का मौसम शुरू हो चुका है।
Delhi Pollution: प्रदूषण से बढ़ेंगी सांस और फेफड़ों की बीमारियां
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेतों से धुआं उठना शुरू हो गया है। हर साल यही धुआं दिल्ली और NCR की हवा को जहरीला बना देता है। इस वक्त AQI सामान्य है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हमें सतर्क रहना होगा। इस समय दिल्ली की हवा शुद्ध है क्योंकि हवा की दिशा उत्तर-पूर्वी है। लेकिन जैसे-जैसे हवा का रुख बदलेगा और तापमान गिरेगा, पराली का धुआं दिल्ली की तरफ आएगा।
यही कारण है कि अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण अचानक बढ़ जाता है। जब हवा में PM2.5 और PM10 कण बढ़ते हैं तो यह फेफड़ों में जाकर गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह और भी खतरनाक है।
हालिया आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की 63 घटनाएं सामने आई हैं। यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि हवा की दिशा अब उत्तर-पश्चिम की ओर हो गई है। इसका सीधा मतलब है कि पराली का धुआं अब सीधे दिल्ली-NCR की तरफ बढ़ेगा, जिससे यहां के निवासियों को smog और धुंध का सामना करना पड़ सकता है।
यह stubble burning वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।जैसे-जैसे दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के उत्तरी हिस्सों से विदा हो रहा है, वैसे-वैसे हवा की दिशा भी उत्तर-पश्चिम की ओर मुड़ गई है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, यह हवा न केवल हिमालय की ठंडक लाती है, बल्कि पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने का धुआं भी साथ लाती है।
इसके अलावा, राजस्थान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाली धूल भी इसी दिशा से दिल्ली-NCR तक पहुँचती है। इस स्थिति को देखते हुए, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को 1 अक्टूबर की निर्धारित तिथि से पहले ही लागू करना पड़ सकता है। यह प्लान air quality को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आपको बतादे की वर्तमान में, दिल्ली-NCR में AQI 100 से ऊपर,यानि की मध्यम श्रेणी में है। हालांकि, एक्सपोर्ट का मानना है कि महीने के आखिरी हफ्ते तक यह AQI 200 के पार होकर ‘खराब’ श्रेणी में पहुँच सकता है। इससे श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ने का खतरा पैदा हो सकता है।
हालाकि दिल्ली की हवा इस वक्त राहत देती दिख रही है। लोग सुबह की सैर पर निकल रहे हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं। लेकिन आने वाले दिनों में यही हवा उनकी सबसे बड़ी परेशानी बन सकती है। फिलहाल तो हवा ठीक है लेकिन हमें पता है कि अक्टूबर-नवंबर में हालात बिगड़ जाते हैं।
हर साल दिल्ली वाले यही झेलते हैं उम्मीद है इस बार सरकार पहले से तैयारी करेगी क्योंकि खेतों की आग… हवाओं के रुख के साथ दिल्ली तक आएगी… और फिर सांस लेना मुश्किल बना देगी,… यानि की साफ है की,…. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-NCR में साफ हवा में सांस लेने की राहत अब खत्म होने वाली है।
मानसून की वापसी और हवा की बदलती दिशा के साथ ही, प्रदूषण का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंचने की आशंका है।
वही दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों ने दावा किया है कि पराली प्रबंधन के लिए मशीनें, सब्सिडी और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम वास्तव में प्रदूषण रोकने में कारगर होंगे,… फिलहाल दिल्ली की हवा साफ है… लेकिन ये सन्नाटा… बहुत देर तक नहीं टिकेगा,..सवाल यही है… क्या इस बार दिल्ली तैयार है… या एक बार फिर सांसों पर ताला लगने वाला है
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