नई दिल्ली: किसान संगठनों के साथ सरकार की आठवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही. अब अगली बैठक आठ जनवरी को होगी. बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते थे कि किसान यूनियन तीन कानूनों के प्रावधान पर चर्चा करें. हम किसी भी समाधान तक नहीं पहुंच सके क्योंकि किसान यूनियन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे.
तोमर ने कहा कि आज की चर्चा को देखते हुए, मुझे आशा है कि अगली बैठक के दौरान हम सार्थक चर्चा करेंगे और हम एक निष्कर्ष पर पहुंचेंगे. सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ जून को फिर से वार्ता होगी.
किसान नेताओं ने क्या कहा?
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं होगी. बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन कड़ाके की ठंड में पिछले 40 दिनों से जारी है. किसान कानून वापसी की मांग कर रहे हैं.
वकिसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि हम कृषि कानून निरस्त करने पर जोर दे रहे हैं और सरकार आंतरिक विचार विमर्श के बाद आयेगी. बैठक में किसान संगठन प्रारंभ से ही तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए थे जबकि सरकार की ओर से मंत्रियों द्वारा कानूनों के फायदे गिनाये गए .
सूत्रों ने बताया कि ऐसे में सिर्फ एक घंटे की बैठक के बाद दोनों पक्षों ने लंच किया. इस दौरान तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने आगे का रास्ता निकालने के लिये चर्चा की जबकि किसान संगठन के नेताओं ने ‘लंगर’ के माध्यम से आया भोजन खाया.
हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर के भोजन में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे.
पहले घंटे की बातचीत के दौरान सिर्फ तीनों कृषि कानूनों को लेकर चर्चा हुई और अनाज खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानूनी गारंटी देने की महत्वपूर्ण मांग पर चर्चा नहीं हुई.