नई दिल्ली. नए शैक्षिक सत्र 2020-21 में दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक टीचर्स, परमानेंट टीचर्स और कर्मचारी स्टाफ को बुलाया गया है। टीचर्स को कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के एडमिशन कार्यों व छात्रों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए बुलाया गया है। ऐसे में इन शिक्षकों को एक करोड़ रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस देने की मांग की जा रही है।
दरअसल कोरोना महामारी के चलते दिल्ली में कोविड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं कॉलेज विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस की किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी गई हैं। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने एडमिशन में लगे शिक्षकों और कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी से मांग की है कि कोविड 19 महामारी के चलते छात्रों के एडमिशन कार्य में कॉलेजों में जाकर प्रमाण पत्रों की जांच में लगे एडहॉक शिक्षकों, कर्मचारियों को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हेल्थ इंश्योरेंस उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय प्रशासन एक सकरुलर जारी कर प्रिंसिपलों को निर्देश दे कि एडमिशन कार्य में लगे कर्मचारियों का हेल्थ इंश्योरेंस 50 लाख रुपये और शिक्षकों का एक करोड़ रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस किया जाए।
साथ ही उन्होंने कोविड के चलते इस वर्ष कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले सभी छात्रों को कॉलेज की ओर से उनकी हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा संबंधी फॉर्म भरवाया जाए। कोरोना काल में संक्रमित महामारी के फैलने से इसकी चपेट में न आए ,यदि कोई छात्र इसकी चपेट में आता है तो कॉलेज को उस छात्र के सम्पूर्ण इलाज की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसलिए कॉलेज को छात्रों का भी 50 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस करना चाहिए।
प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि, दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे एडहॉक टीचर्स को कोरोना होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई आर्थिक सहायता नहीं की। उन एडहॉक टीचर्स ने अपने पैसों से (अपने स्तर पर ) अस्पताल में इलाज कराया। जबकि वे वर्षों से इन कॉलेजों में अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक कोविड जैसी महामारी के समय आज स्वास्थ्य सुरक्षा सबसे बड़ी आवश्यकता है। ये सभी कर्मचारियों और शिक्षकों का कानूनन अधिकार है। वाइस चांसलर से यह भी मांग की गई है कि कॉलेजों के खुलने पर छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों का चेकअप कॉलेज अपने स्तर पर कराए।