दिशा बैठक में उठा सियासी तूफान: सांसद रमाशंकर राजभर ने ओमप्रकाश पर बोला हमला, अधिकारियों को चेताया

सांसद रमाशंकर राजभर ने ओमप्रकाश पर बोला हमला

देवरिया, 3 जुलाई | सुनील शर्मा, अमर भारती ब्यूरो
देवरिया में हुई दिशा समिति की बैठक अब राजनीति का केंद्र बन चुकी है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच तकरार से बैठक की दिशा ही बदल गई। सपा सांसद रमाशंकर राजभर ने प्रेस वार्ता में तीखे तेवर दिखाते हुए भाजपा सरकार और सहयोगी ओमप्रकाश राजभर पर सीधा हमला बोला।

“पैसे के लिए पागल हो चुके हैं ओमप्रकाश राजभर”
सांसद रमाशंकर राजभर ने ओमप्रकाश राजभर पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि “जो अपने समाज के उजड़े घरों, हत्याओं और लूट की पीड़ा को भूलकर भाजपा को वोट दिलाने का दावा करे, वह पैसे का भूखा है।” उन्होंने कहा कि यह वही ओमप्रकाश हैं जो कभी मोदी और योगी को हटाने की बात करते थे और आज उन्हीं की गोद में बैठ गए हैं। अखिलेश यादव भी इनके झांसे में आए थे लेकिन अब सब साफ हो चुका है।

“तीन महीने में रोडवेज निर्माण शुरू न हुआ तो करूंगा धरना”
सांसद ने चेतावनी दी कि यदि देवरिया बस स्टैंड का निर्माण कार्य तीन माह में शुरू नहीं होता, तो वह रोडवेज पर धरना देंगे। उन्होंने बताया कि यह रोडवेज हर साल ₹28 लाख की आय देता है, कभी ₹22 लाख से कम नहीं हुआ, फिर भी यात्री टिन शेड में बैठने को मजबूर हैं।

“दिशा बैठक दिशाहीन हो चुकी है”
सांसद ने कहा कि पिछली तीन बैठकों से विकास के मुद्दे वहीं अटके हैं – जमुआ मार्ग, मगहरा मार्ग, कुरआन मार्ग – सब एडवांस टेंडर के बावजूद फंसे हैं। भाजपा के जनप्रतिनिधि पैसा नहीं मंगा पा रहे। उन्होंने कटाक्ष किया कि “भाजपा केवल ब्रांडिंग में आगे है, जमीनी विकास में नहीं।”

“दिशा बैठक गोपनीय नहीं, कोई भी वीडियो वायरल हो सकता है”
सांसद राजभर ने कहा कि दिशा बैठक कोई गोपनीय मंच नहीं है। इसमें 35 मंत्रालय और 97 विभाग शामिल होते हैं। यदि कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि इसमें मर्यादा तोड़ता है, तो उसकी सार्वजनिक समीक्षा होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बैठक में दोनों पक्षों को वाणी पर संयम रखना चाहिए।

“अधिकारियों की बेलगाम स्थिति”
राजभर ने आरोप लगाया कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते, और यही लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि यदि ADM को यह भी नहीं पता कि स्पीकर उनका संरक्षक होता है, तो उन्हें सबक सिखाना जरूरी है।

“स्कूल बंद करने का तुगलकी फरमान वापस ले सरकार”
साथ ही, छात्र संगठनों ने स्कूल बंदी के फैसले को “तुगलकी फरमान” बताते हुए चेतावनी दी कि अगर यह निर्णय वापस नहीं हुआ तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।