
देवरिया ज़िले के भलुअनी नगर पंचायत में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन शिव विवाह प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया गया। कथा स्थल मां भगवती पैलेस में उपस्थित श्रद्धालु तब भाव-विभोर हो उठे जब अयोध्या धाम से पधारे आचार्य धीरज कृष्ण महाराज ने पर्वतराज हिमाचल की तपस्या, माता पार्वती की भक्ति और शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की कथा अत्यंत सरस भाव में प्रस्तुत की।

कथा व्यास ने कहा कि माता पार्वती का शिवजी के प्रति प्रेम और समर्पण हमें यह सिखाता है कि सच्चे संकल्प और भक्ति से असंभव भी संभव हो जाता है। जब शिवजी भूत-पिशाचों के साथ बारात लेकर हिमाचल के द्वार पर पहुंचे, तो दृश्य अद्भुत था। पर्वतराज और परिजन अचंभित रह गए, परंतु पार्वती ने प्रभु शिव को हर्ष से स्वीकार किया। यह प्रसंग आत्मिक पवित्रता और श्रद्धा का प्रतीक है।

आचार्य धीरज कृष्ण महाराज ने कहा कि शिव-पार्वती की कथा सुनने मात्र से ही आत्मा के विकार समाप्त होते हैं और व्यक्ति में आत्मिक शांति का संचार होता है। यह भागवत कथा का ऐसा अध्याय है, जो जीवन के हर पहलू में गहराई से जुड़े संस्कारों का बोध कराता है।
कथा के दौरान रघुपति जी और दीपक द्वारा प्रस्तुत भक्तिमय गीतों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्ति रस से सराबोर वातावरण में श्रद्धालु देर तक भजन में डूबे रहे।
इस अवसर पर आचार्य विजय कौशल जी महाराज, राहुल मद्धेशिया, भरत वर्मा, संजय वर्मा, विनोद सिंह गुड्डू, मनोज कुमार मद्धेशिया, भगवान दास सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। आयोजन का संपूर्ण वातावरण भक्ति, श्रद्धा और आनंद से ओत-प्रोत रहा।