लखनऊ के देवरिया में 42वां कार्तिक पूर्णिमा मेला शुरू — गोमती घाट इंदिरा डैम पर महन्त दिव्या गिरी ने किया उद्घाटन

लखनऊ, राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र के देवरिया गांव में बुधवार से 42वां कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेला धार्मिक उत्साह और भक्ति भाव के साथ शुरू हो गया। गोमती नदी के तट पर बने इंदिरा डैम (इंदिरा जल सेतु) पर आयोजित इस पारंपरिक मेले का शुभारंभ मनकामेश्वर मंदिर डालीगंज की महन्त दिव्या गिरी जी महाराज ने फीता काटकर किया। इस अवसर पर मेला अध्यक्ष सुरेश यादव और संरक्षक पूर्व विधायक राजेंद्र यादव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु, ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

उद्घाटन समारोह के बाद मनकामेश्वर मंदिर की महामंडलेश्वर महन्त दिव्या गिरी जी ने इंदिरा जल सेतु गोमती घाट पर विधिवत पूजा-अर्चना की। उन्होंने मां गोमती से प्रदेश की समृद्धि, शांति और खुशहाली की प्रार्थना की। महन्त दिव्या गिरी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा का स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि लोक आस्था और भारतीय संस्कृति की जीवंत परंपरा है, जो समाज में एकता और सद्भाव का संदेश देती है।

मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन और मेला समिति की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। गोमती घाट पर स्नान करने आने वाले भक्तों के लिए पेयजल, प्रकाश, चिकित्सा और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्थाएं की गई हैं। घाटों की साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था के लिए नगर निगम और विद्युत विभाग की टीमें लगातार काम कर रही हैं।

सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए थाना चिनहट के जलसेतु चौकी प्रभारी मनोज कुमार सिंह अपनी टीम के साथ पूरे क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं। साथ ही, पीएसी और पूर्वी जोन के कई थानों से भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार गश्त कर रहे हैं ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

मेले में धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ मनोरंजन के लिए भी पारंपरिक कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की गई है। स्थानीय कलाकारों द्वारा नौटंकी, आल्हा, कबड्डी और दंगल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें ग्रामीणों और आगंतुकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिल रही है। इसके अलावा लोकगीत, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गूंज से पूरा मेला परिसर भक्तिमय हो उठा है।

हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला यह मेला लखनऊ और आस-पास के जिलों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और संस्कृति का बड़ा केंद्र बन चुका है। ग्रामीण परंपराओं, लोक कलाओं और आध्यात्मिक वातावरण से सजा यह मेला गोमती घाट की पहचान बन गया है।

वर्ष 1983 में शुरू हुआ यह आयोजन अब प्रदेश स्तर के धार्मिक उत्सव का रूप ले चुका है। इस वर्ष मेले की थीम “स्वच्छ घाट–पवित्र स्नान” रखी गई है, जिसके तहत पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर श्रद्धालुओं को प्लास्टिक मुक्त मेला बनाने का संदेश दे रही हैं।

देवरिया का यह कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, लोक संस्कृति और पर्यावरण चेतना का भी प्रतीक बन गया है। गोमती तट पर उमड़ी श्रद्धा की यह भीड़ आस्था, परंपरा और जनसहभागिता की सजीव मिसाल पेश कर रही है।