देवउठनी एकादशी पर आज शनि का साया, भूलकर भी ना करें गलतियां, वरना नाराज हो जाएंगे श्रीहरि

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे खास माना जाता है. दरअसल, पूरे साल में 24 एकादशियां आती हैं जिसमें सबसे शुभ होती है देवउठनी एकादशी. यह दिन सबसे खास होता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जाग जाते हैं.

आचार्य पं सुधांशु तिवारी
( ज्योतिषाचार्य/ प्रवक्ता )

देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवबंर 2025, शनिवार यनि आज मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार, हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी बहुत ही खास मानी जाती है इसलिए इस दिन कुछ गलतियों से सावधान रहना चाहिए. आइए जानते हैं उनके बारे में.

  1. देवउठनी एकादशी के दिन बिना स्नान किए तुलसी माता को स्पर्श ना करें. वरना भगवान विष्णु की पूजा निष्फल मानी जाती है.
  2. इसके अलावा, देवउठनी एकादशी पर शनिवार का साया भी रहेगा. इसलिए, इस दिन कोई लोहा, तेल, नमक, झाड़ू, काले तिल और चमड़े से बनी कोई भी चीज न खरीदें.
  3. देवउठनी एकादशी के दिन चावल ना खाएं और साथ ही तुलसी के पत्ते ना तोड़ें. दरअसल, ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं.
  4. इसके अलावा, इस दिन बैंगन, पालक, शलगम आदि सब्जियों का सेवन करना निषेध माना गया है.
  5. देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और पूरे दिन-रात श्रीहरि का नाम-जप करना चाहिए.
  6. देवउठनी एकादशी के दिन मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन से दूर बनाकर रखनी चाहिए वरना श्रीहरि नाराज हो जाते हैं.

देवउठनी एकादशी पर शनिवार का संयोग

ज्योतिषाचार्य पंडित सुधांशु तिवारी के मुताबिक, 1 नवंबर को मनाई जाने वाली देवउठनी एकादशी के दिन शनिवार पड़ रहा है, जो कि किसी दुर्लभ संयोग से कम नहीं माना जा रहा है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीहरि के साथ शनिदेव की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियों से निजात मिल जाएगा.