धूमधाम से शुरू: लखनऊ में गणेश चतुर्थी को लेकर लोगों में उत्साह

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आज से गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से आरंभ हो गया। पूरे शहर में भक्तिमय और उल्लासपूर्ण माहौल है। गणपति बप्पा के स्वागत की तैयारियों में श्रद्धालुओं के साथ-साथ कारीगर और व्यापारी भी लंबे समय से जुटे रहे। घरों से लेकर बड़े-बड़े पंडालों तक सजावट, रंगाई-पुताई और मूर्तियों की धूम ने वातावरण को भक्ति और आनंद से सराबोर कर दिया है। बच्चे हों या बुजुर्ग, सभी बप्पा के आगमन से रोमांचित हैं।

शहर के विभिन्न इलाकों में गणेश जी की मूर्तियों का निर्माण बीते कई दिनों से जारी था, जो अब स्थापना के लिए तैयार हो चुकी हैं। इस बार विशेष आकर्षण कोलकाता से आई कारीगरों की टीम है, जिन्होंने राजधानी के लिए भव्य और आकर्षक प्रतिमाएं बनाई हैं। इन कारीगरों की बारीक कला से बनी मूर्तियां इतनी जीवंत और दिव्य प्रतीत होती हैं कि भक्त उन्हें देखते ही भाव-विभोर हो जाते हैं।

मूर्तियों की विविधता ने भक्तों को कई विकल्प दिए हैं। छोटे घरों के लिए जहां नन्हीं-सी प्रतिमाएं बनाई गई हैं, वहीं सार्वजनिक आयोजनों के लिए विशालकाय गणेश मूर्तियां भी तैयार हैं। कीमत पाँच हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं। श्रद्धालु अपनी आस्था और सामर्थ्य के अनुसार मूर्तियों की खरीद और स्थापना कर रहे हैं।

कारीगर मूर्तियों को बनाने में विशेष किस्म की मिट्टी का उपयोग कर रहे हैं। काली मिट्टी की मूर्तियां अपनी मजबूती के लिए जानी जाती हैं, जबकि चिकनी मिट्टी से बनी प्रतिमाएं चमकदार और आकर्षक दिखाई देती हैं। बालुई मिट्टी से बनी मूर्तियां हल्की और अपेक्षाकृत सस्ती हैं, जिन्हें आम लोग बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं।

गणेशोत्सव का असर बाजारों पर भी साफ झलक रहा है। पूजा सामग्री, सजावटी सामान, फूल-मालाओं और रोशनी की बिक्री में जबरदस्त तेजी आई है। दुकानदारों का कहना है कि इस बार भक्तों का जोश पिछले वर्षों से कहीं अधिक है। आलमबाग, हजरतगंज और अलीगंज जैसे प्रमुख इलाकों में गणेश मंडलों की विशेष तैयारियां हुई हैं। युवा वर्ग पंडालों को रोशनी और रंगीन सजावट से सजा रहा है।

गणेश चतुर्थी अब केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम भी बन चुकी है। पंडालों में भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और सामाजिक संदेशों से जुड़े कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। कई मंडलों ने इस बार पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को थीम बनाया है, ताकि त्योहार का संदेश समाज तक और गहराई से पहुँच सके।

लखनऊवासियों के लिए गणपति का आगमन सौभाग्य और आनंद का प्रतीक है। महिलाएं घरों में विशेष पकवान और प्रसाद तैयार कर रही हैं, बच्चे झांकियों की सजावट में व्यस्त हैं और बुजुर्ग गणपति की आराधना में लीन हैं।

राजधानी में इस बार का गणेशोत्सव खास बन गया है, क्योंकि स्थानीय कलाकारों के साथ बाहर से आए कारीगरों ने भी अपनी कला से इसे भव्य बना दिया है। ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों और जगमगाते पंडालों ने लखनऊ को भक्तिमय रंग में रंग दिया है।