दीपों का पर्व: शाम 7:08 से 8:18 बजे तक रहेगा लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

लखनऊ। कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाने वाली दीपावली का पर्व इस बार सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की आराधना कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। यही समय धन और वैभव प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

पंडितों के अनुसार, प्रदोष काल में की जाने वाली लक्ष्मी-गणेश पूजा अत्यंत फलदायी होती है। इस काल में दीपक जलाने, घर की उत्तर दिशा में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करने तथा कमल पुष्प, चावल, मिठाई और लाल वस्त्रों से पूजन करने का विधान है। इस बार लक्ष्मी-पूजन के साथ ही स्थिर लग्न वृषभ का योग बन रहा है, जो धनप्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

दीपदान और महालक्ष्मी आरती का विशेष महत्व इस रात को है। शास्त्रों के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर जलते हुए दीपक रखने से दरिद्रता दूर होती है और मां लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में वास करती हैं। इस दिन सरयू, गंगा, यमुना जैसे पवित्र नदियों में स्नान-दान करने का भी विशेष पुण्य बताया गया है।

ज्योतिषाचार्य पं. शक्ति मिश्र के अनुसार — “इस वर्ष दीपावली का योग अत्यंत मंगलकारी है। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस बार व्यापार-वृद्धि और धनलाभ के संकेत दे रही है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र बलवान है, उन्हें विशेष लाभ मिलेगा।” उन्होंने बताया कि इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को शाम 4:40 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर को दोपहर 2:20 बजे तक रहेगी, परंतु पूजा प्रदोषकाल में करना ही श्रेष्ठ होगा।

दीपावली पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और लखनऊ सहित प्रदेश भर के मंदिरों और घरों में दीपों की कतारें सजेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अयोध्या में सरयू तट पर भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 26 लाख से अधिक दीपक जलाकर नया विश्व कीर्तिमान बनाया जाएगा।

बाजारों में इस बार पर्यावरण-हितैषी मिट्टी के दीपक, हाथ से बनी रंगोलियों और सोलर झूमरों की खूब मांग है। मिठाई बाजारों में भी रौनक लौट आई है। लखनऊ के चौक, अमीनाबाद और हजरतगंज में दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ देखी जा रही है।

दीपावली का पर्व केवल रोशनी का नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ने का प्रतीक है। मां लक्ष्मी की कृपा से हर घर में सुख-समृद्धि और शांति का प्रकाश फैले — यही इस पर्व का सच्चा संदेश है।