नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंड से तीन माह के भीतर देश भर में 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे। इसी के तहत राजधानी दिल्ली में इसी हफ्ते पांच ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे। पहले एम्स ट्रॉमा सेंटर और आरएमएल अस्पताल में ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जाएंगे। दोनों अस्पतालों के लिए संयंत्रों के उपकरण मंगलवार को राजधानी पहुंच गए हैं।
तेजस की तकनीक वाले प्लांट होंगे स्थापित
इसके बाद सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और एम्स, झज्जर (हरियाणा) में भी अन्य संयंत्र इसी सप्ताह स्थापित किए जाएंगे। यह संयंत्र लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में उड़ान के दौरान ऑक्सीजन पैदा करने के लिए विकसित की गई मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) तकनीक पर बनाये गए हैं।
एक मिनट में एक हज़ार लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन
डीआरडीओ ने पीएम केयर्स फंड के तहत प्रति माह 125 संयंत्र के निर्माण का लक्ष्य रखा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में यह एमओपी तकनीक उपयोगी होगी। इस तकनीक से एक मिनट में 1,000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि यह प्रणाली प्रति मिनट 190 मरीजों की जरूरत पूरा कर सकती है और 195 सिलेंडर प्रति दिन चार्ज कर सकती है। डीआरडीओ ने मेसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु को 332 और मेसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को 48 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट की आपूर्ति के आदेश दिए हैं।
वायु से सीधे ऑक्सीजन की उत्पत्ति
खास बात ये है कि यह वायुमंडलीय वायु से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्प्शन (पीएसए) तकनीक और मोलेकुलर सिएव (जोलाइट) तकनीक का उपयोग करता है। उत्तर-पूर्व और लद्दाख में सेना की कुछ साइटों पर एमओपी प्लांट पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। यह संयंत्र आईएसओ 1008, यूरोपीय, अमेरिका और भारतीय फार्माकोपिया जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 रोगियों के लिए बेहद जरूरी ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए एमओपी तकनीक का उपयोग करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए डीआरडीओ की मदद का आश्वासन दिया है।