
लखनऊ, 5 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) को अधिक सुगम और निवेशकों के लिए सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से ‘अनुपालन न्यूनीकरण एवं विनियमन शिथिलीकरण 2025’ (Compliance Reduction & Deregulation) पहल की प्रगति की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव एस. पी. गोयल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में इन्वेस्ट यूपी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अब तक हुई प्रगति एवं आगे की रणनीतियों पर चर्चा की।
बैठक में भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय द्वारा गठित टास्क फोर्स के सुझावों को शामिल करते हुए राज्य में नियामक सरलीकरण, डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को मजबूती दी गई। इन सुधारों का कार्यान्वयन राज्य की निवेश प्रोत्साहन एजेंसी इन्वेस्ट यूपी द्वारा किया जा रहा है।
बैठक का प्रमुख आकर्षण राज्य की सिंगल विंडो प्रणाली ‘निवेश मित्र 3.0’ रहा, जिसका नया संस्करण वर्षांत तक लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल वर्तमान में 44 से अधिक विभागों की 525 से अधिक सेवाएं प्रदान करता है। नए संस्करण के माध्यम से सेवा प्रदायगी की समयसीमा में 30 प्रतिशत की कमी, आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने और दस्तावेजों की संख्या को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे निवेशकों को त्वरित, पारदर्शी और उपयोगकर्ता-केंद्रित सेवाएं मिल सकेंगी।
अब तक राज्य सरकार ने 45 विभागों में 4,675 से अधिक सुधार लागू किए हैं, जिनमें 2,500 से अधिक व्यापार केंद्रित परिवर्तन, 1,586 नागरिक सेवाओं में सुधार और 577 आपराधिक प्रावधानों की समाप्ति शामिल है। इन सुधारों की निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से की जा रही है, जिससे सेवा वितरण और शिकायत निवारण प्रणाली अधिक उत्तरदायी बनी है।
श्रम, अग्निशमन, राजस्व और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभागों ने उल्लेखनीय सुधार किए हैं। उदाहरणस्वरूप, फैक्ट्री अधिनियम के अंतर्गत फॉर्म की फील्ड्स की संख्या 127 से घटाकर 50 कर दी गई है। मार्च 2025 से शुरू हुई इस मुहिम को केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिवालय की डि-रेगुलेशन सेल द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसमें राज्यवार परामर्श और विभागीय समीक्षा से क्रियान्वयन को गति मिली है।
सुधारों का दायरा 23 प्रमुख क्षेत्रों और 71 उप-क्षेत्रों तक विस्तारित है, जिनमें आवास एवं नगरीय नियोजन, श्रम, यूपी पावर कॉर्पोरेशन, अग्निशमन, राजस्व और इन्वेस्ट यूपी शामिल हैं। प्रमुख बदलावों में लाइसेंस की वैधता अवधि में विस्तार, जोखिम आधारित निरीक्षण प्रणाली और महिलाओं को रात्रिकालीन पाली में काम करने की अनुमति जैसे फैसले शामिल हैं।
बैठक में यह भी सुझाव आया कि भवन उपविधियों में संशोधन कर भूमि की बर्बादी को रोका जाए, उद्योगों में महिलाओं पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाए जाएं और व्यापार व फैक्ट्री लाइसेंस की नवीनीकरण प्रक्रिया को और सरल बनाया जाए। साथ ही द्विभाषी फॉर्म, स्वयं करने योग्य वीडियो ट्यूटोरियल, कॉल सेंटर और जागरूकता अभियानों को भी सुधारों का हिस्सा बनाया जाएगा।
राज्य सरकार निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए दो ऐतिहासिक डीक्रिमिनलाइजेशन विधेयकों का मसौदा भी तैयार कर रही है, जिनके जरिए राज्य व समवर्ती सूची के अधिनियमों में 98 प्रतिशत से अधिक कारावास संबंधी प्रावधानों को समाप्त किया जाएगा। यह कदम उत्तर प्रदेश को एक प्रगतिशील और व्यापार-अनुकूल कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।
मुख्य सचिव ने बैठक में सभी विभागों को समयबद्ध, समन्वित और फीडबैक आधारित सुधारों को प्राथमिकता देने का निर्देश देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश केवल व्यवस्थाएं नहीं सुधार रहा है, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए पुनर्परिभाषित कर रहा है। बैठक का समापन इस प्रतिबद्धता के साथ हुआ कि वर्षांत तक सभी सुधारों को निवेश मित्र 3.0 से पूर्ण रूप से एकीकृत किया जाएगा ताकि निवेशकों को समग्र और सरल अनुभव मिल सके।