निरामय जीवन का है मूलभूत आधार,
फलो सब्जियों युक्त सेवन करो आहार।
पथ्य अपथ्य के सब बनो जानकार,
करो शाकाहार छोड़ो मांसाहार ।
शाकाहार है सनातन सुविचार,
तन मन में भरे स्फूर्ति नव संचार ।
श्रमिकों,किसानों को मिले रोजगार,
धन धान्य की रहेगी सदा भरमार ।
बरखा भी बरसेगी मुसलाधार,
ग्लोबल वार्मिंग से बचेगा संसार ।
जीवदया करो, प्रभू से हो साक्षात्कार,
मानव बन दानव सा करो ना व्यवहार
निर्दोष जीवों के बहाकर अश्रु धार,
गंगा में लगा लो चाहे डुबकी हजार ।
मूक पशु की सुनो चीख पुकार,
जीवहत्या है निर्मम अत्याचार ।
सत्य,अंहिसा,करूणा और सदाचार,
धर्म, वेद ग्रंथ सबका बस यही सार।
जीव,प्रकृति के यहीं उत्सव त्यौहार,
सुरक्षित रहे भारत की संस्कृति संस्कार ।
करबद्ध “लता “ बस करे गुहार,
शाकाहार का सब करो सत्कार ।
शाकाहार की हो प्रेमिल मनुहार,
संकल्प होगा तभी साकार ।
करो शाकाहार छोड़ो मांसाहार।
लता राठी ✍ जोधपुर