जहां चाह, वहां राह : इंजीनियर की नई सोच लॉकडाउन में नौजवानों के लिए बनी प्रेरणा

नई दिल्ली। हमने बड़े बुज़ुर्गों से हमेशा सुना है और सुना आपने भी होगा, ‘जहां चाह…वहां राह’ और यही सफलता का एकमात्र मंत्र भी है। ऐसे ही हरिद्वार के एक इंजीनियर से आज हम आपको रूबरू कराएंगे, जिन्होंने ‘जज्बा फार्म’ खोला है। इसके माध्यम से इन्होंने न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने इलाके के बाकी नौजवानों के लिए भी रोजगार के नए रास्ते खोले हैं। आइए अब जानते हैं कि कैसा है इस युवा इंजीनियर का ‘जज्बा फार्म’, जो युवाओं के लिए बन गया है मिसाल…

लॉकडाउन में खोला ‘जज्बा’ फार्म

लॉकडाउन के दिनों में इंजीनियर तसव्वर अली न सिर्फ अपनी तकदीर बदली बल्कि अपने इलाके में नौजवानों के लिए रोजगार के नए मौके भी खोज लिए। हरिद्वार जिले के मंगलौर में घोसीपुरा गांव है, जहां तसव्वर ने लॉकडाउन में औरंगाबाद से लौटकर अपनी जमीन पर जज्बा फार्म खड़ा किया और वहां बकरी, मुर्गी, मछली और गाय पालन का काम शुरू किया।

दो इंजीनियर साथी भी जुटे काम में

इस काम में तसव्वुर के दो इंजीनियर दोस्त भी जुड़ गए। हालांकि इस काम में कई चुनौतियां सामने आईं, लेकिन पशुपालन के क्षेत्र में नई तकनीक और सरकार की नई-नई योजनाओं ने उन चुनौतियों से लड़ने का साहस दिया और नतीजा अब सबके सामने है। इस बाबत तसव्वर अली कहते हैं कि इस फार्म का मकसद लोगों के लिए स्वरोजगार पैदा करना व इस प्रकार से किसानों को आय के नए स्रोत पैदा करने के बारे में सिखाना है।

गांव से नौजवानों का पलायन बंद

तसव्वर और उनके दोस्तों ने जो काम शुरू किया है, उसके बाद गांव से नौजवानों का पलायन काफी हद तक रुका है। तसव्वर के पिता भी गर्व से अपने बेटे की कामयाबी और समाज के प्रति उनकी सोच और ताकत देने का काम कर रहे हैं। साथ ही वे प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी धन्यवाद देते हैं, जिसने उनके बेटे की सफलता में बड़ी भूमिका निभाई। ऐसे ही नौजवान आज देश को तरक्की के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। ऊर्जा से भरी उनकी नई सोच दूसरे नौजवानों के लिए भी प्रेरणा बन रही है।

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