Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
दुश्मन पर ऐसे आसानी से पाएं जीत- Amar Bharti Media Group धर्म

दुश्मन पर ऐसे आसानी से पाएं जीत

कूटनीति के लिए मशहूर और अर्थशास्त्र के महान ज्ञानी आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर नंद वंश को उखाड़ फेंका था. लेकिन वो कभी उग्र नहीं हुए और हर परिस्थिति का धैर्य के साथ सामना किया. उनकी नीतियां ही थीं जिनकी बदौलत उन्होंने एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बना डाला. चाणक्य ने अपनी नीतियों को नीति शास्त्र यानी ‘चाणक्य नीति’ में समाहित किया है. इसके 7वें अध्याय में वो एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि मनुष्य को अपने दुश्मनों को किस प्रकार पराजित करना चाहिए. जानते हैं उनकी इस नीति के बारे में.

अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम्।

आत्मतुल्यबलं शत्रु विनयेन बलेन वा।।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बलवान शत्रु को उसके अनुकूल व्यवहार करके, दुष्ट शत्रु को उसके प्रतिकूल व्यवहार करके और अपने समान बल वाले शत्रु को विनय अथवा बल से वश में करना चाहिए. चाणक्य का कहना है कि शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए और वो कैसा है, कितना बलवान है ये देखकर ही उसके प्रति आगे बढ़ना चाहिए.

चाणक्य के मुताबिक सब लोगों के साथ अलग-अलग व्यवहार करके काम निकालना चाहिए. यदि शत्रु हमसे अधिक शक्तिशाली है तो उसके अनुकूल चलना चाहिए, यदि दुश्मन दुष्ट या बुरा है तो उससे उलटा चलना चाहिए और अगर दुश्मन अपने समान ही है तो उसे बल से जीतना चाहिए या फिर विनयपूर्वक व्यवहार करके वश में करना चाहिए.

शत्रु पर विजय पाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसके बारे में जानकारी प्राप्त करना होता है. अगर व्यक्ति को उसके दुश्मन के बारे में पूरी जानकारी हो तो वो अपने दुश्मन को उसकी कमजोर कड़ी पर प्रहार करके आसानी से जीत हासिल कर सकता है.