
फतेहाबाद। फतेहाबाद रेंज के गांव बीलपुरा निबोहरा में खेतों में काम कर रहे किसानों की सतर्कता से एक मादा लकड़बग्घे की जान बच गई। किसानों ने उसे असहाय और गंभीर रूप से घायल अवस्था में देखा और तुरंत वन विभाग को सूचना दी। विभाग ने वाइल्डलाइफ एसओएस की आपातकालीन हेल्पलाइन पर संपर्क कर सहायता मांगी, जिसके बाद पांच सदस्यीय बचाव दल और पशु चिकित्सक तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे।
टीम ने पाया कि लकड़बग्घा बेहद निर्जलित था तथा उसके सिर और चेहरे पर गंभीर घाव थे। एक आंख के आसपास सूजन होने से उसकी दृष्टि बाधित हो रही थी। मुंह से खून बह रहा था और निचला जबड़ा लटक रहा था। बाद में एक्स-रे जांच में जबड़े में फ्रैक्चर की पुष्टि हुई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए टीम ने उसे सुरक्षित पकड़कर वाइल्डलाइफ एसओएस आगरा भालू संरक्षण केंद्र में गहन चिकित्सा उपचार के लिए पहुंचाया, जहां वर्तमान में उसका विशेष उपचार जारी है।
इंडियन स्ट्राइप्ड हाइना (लकड़बग्घा) वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति है और भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली लकड़बग्घे की एकमात्र प्रजाति है। आईयूसीएन रेड लिस्ट में इसे ‘नियर थ्रेटंड’ श्रेणी में रखा गया है।
आगरा के डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि ग्रामीणों की त्वरित सूचना और संयुक्त प्रयासों से एक कीमती वन्यजीव की जान बची। वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि यह घटना सामुदायिक जागरूकता के महत्व को दर्शाती है। वहीं पशु चिकित्सा उप-निदेशक डॉ. इलयाराजा एस ने बताया कि घायल लकड़बग्घे पर विशेषज्ञों की निगरानी में हाइड्रेशन, दर्द निवारण और घाव उपचार जारी है।