विदेशों से भी किया जा रहा आयात
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे है इस बीच सरकार ने पांच और दवा कंपनियों को एंफोटेरेसिन बी इंजेकशन बनाने के लिए अनुमति दे दी है। साथ ही कुल छह लाख खुराकें आयात की जा रही हैं।
दवा की समस्या जल्द दूर होगी
रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करके जानकारी दी कि ” छह कंपनियां पहले से यह इंजेक्शन देश में बना रही हैं। पांच और कंपनियों एमक्योर फार्मा, नेटको, गुफिक बायोसाइंसेज, एलेंबिक फार्मा तथा लय्का फार्मा को इसके निर्माण की इजाजत दी गई है। जबकि छह कंपनियां मिलन, भारत सीरम्स, बीडीआर फार्मा, सन फार्मा, सिप्ला तथा लाइफ केयर पहले से इसका निमार्ण कर रही हैं।” उन्होंने इस बात का भी आश्वासन दिया कि दवा की समस्या जल्द दूर की जाएगी।
करीब सात हजार रुपये का इंजेक्शन
उन्होंने कहा कि जो कंपनियां पहले से टिका बना रही हैं, उन्हें उत्पादन बढ़ाने को कह दिया है तथा वह इस पर भी काम शुरू कर चुके हैं। मौजूदा समय में देश में इस इंजेक्शन की मासिक उत्पादन क्षमता 3.80 लाख इंजेक्शन की है। इस दवा के एक इंजेक्शन की कीमत करीब सात हजार रुपये है तथा एक रोगी को 50-150 इंजेक्शनों की जरूरत पड़ सकती है।
तीन लाख इंजेक्शन का आयात
इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़े इसके लिए तेजी से प्रयास हो रहे हैं। सरकार ने इसके तीन लाख इंजेक्शन का आयात किया है, जिसकी आपूर्ति 31 मई तक होगी। साथ ही देश में इसका उत्पादन बढ़ाकर 3.80 लाख इंजेक्शन प्रतिमाह कर दिया है।