देवरिया में बाढ़ विभाग की दबंगई: भ्रष्टाचार उजागर करने पर ग्रामीणों के आशियाने पर चला बुल्डोजर, मवेशियों समेत उजाड़ा घर

सुनील शर्मा | अमर भारती ब्यूरो | देवरिया

बाढ़ विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाना एक ग्रामीण को भारी पड़ गया। मीडिया में विभाग की अनियमितताओं को उजागर करने से नाराज अधिकारियों ने उस ग्रामीण के आशियाने पर बुल्डोजर चलवा दिया, जिससे उसके 7 घोड़े और एक गाय खुले आसमान के नीचे आ गए।

घटना देवरिया जिले के बरहज तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम छित्तूपुर – भागलपुर के पास स्थित घाघरा नदी के बाएं तटबंध की है, जहां ₹6.39 करोड़ की लागत से कटान निरोधक कार्य कराया जा रहा है। आरोप है कि यह कार्य भारी अनियमितताओं के साथ किया जा रहा है।

स्थानीय निवासी रतीभान साहनी ने मीडिया को बताया कि उन्होंने कार्य स्थल की वस्तुस्थिति को कैमरे में कैद कर रिपोर्टरों को साक्षात्कार दिया, जिसके बाद बाढ़ विभाग के अधिकारियों ने बदले की भावना से कार्रवाई की। रतीभान के अनुसार, बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस बल और राजस्व टीम के साथ पहुंचकर बरसात के मौसम में उनकी झोपड़ी व मवेशियों के आश्रयस्थल को ध्वस्त कर दिया गया।

भ्रष्टाचार के आरोप

रतीभान ने बाढ़ विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि

रात के अंधेरे में स्टॉक की गई मिट्टी को अवैध रूप से बेचा जा रहा है।

बोल्डर सेटिंग के नाम पर खानापूरी की जा रही है।

बाढ़ सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाली लोहे की तारों को कबाड़ में बेच दिया गया है।

उन्होंने कहा कि जब इस भ्रष्टाचार को मीडिया के माध्यम से उजागर किया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया गया और डराने की कोशिश की गई।


क्या बोले प्रशासनिक अधिकारी?

SDM बरहज विपिन द्विवेदी ने “अमर भारती” से बातचीत में बताया कि बाढ़ विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने का पत्र दिया गया था, जिस पर फोर्स के साथ कार्रवाई की गई। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मौके का स्थलीय निरीक्षण उन्होंने नहीं किया।


बाढ़ विभाग की सफाई

बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता राधेश्याम प्रसाद ने कहा कि “स्टेचर (स्पर्व)” पर अवैध रूप से झोपड़ी डाल दी गई थी, जिसे कई बार हटाने को कहा गया। उनका कहना है कि स्थल पर झोपड़ी होने से उच्च अधिकारियों को देखने में अच्छा नहीं लगता, इसलिए कार्रवाई की गई।