“देशभक्ति की सरगम”

“देशभक्ति की सरगम”

स्वर हम देंगे राग में सजाना तुम,

गीत हम देंगे इसे गुनगुनाना तुम।

‘सा’ से निकलकर सारे देश पर छा जाना,

‘रे’ से निरंतर देश में ही रमना,

‘ग’ के स्वर से देश का गौरव बनो तुम,

‘म’ की ममता से भर लो अपने हृदय को तुम,

‘प’ के प्रेम से सिंचित कर दो सारे जग को,

‘ध’ से धारण करो राष्ट्र के मूल मंत्र को,

‘नी’ स्वर से नई रोशनी जब धरती पर बिखरेगी।

सात सुरों के इस संगम में सारी दुनिया उतरेगी।

 

-डॉ.इन्दु जैन राष्ट्र गौरव-