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#कोरोना महामारी के काल में दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ी है. लंबे समय तक लॉकडाउन के चलते भारत की अर्थव्यवस्था में भी भारी नुकसान हुआ है. लिहाजा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में भारी कमी की है.
- रेपो रेट में RBI द्वारा लगातार की गई कटौती के बाद बैंकों के जरिए ग्राहक भी ले रहे मुनाफा
- 7 फीसदी से कम दर पर होम लोन पेश कर देश का सबसे बड़ा बैंक SBI में MCLR में होम लेने वाले ग्राहक अपना फायदा भुना सकते हैं.
कोरोना महामारी के काल में दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ी है. लंबे समय तक लॉकडाउन के चलते भारत की अर्थव्यवस्था में भी भारी नुकसान हुआ है.
लिहाजा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में भारी कमी की है. RBI के इस फैसले के बाद रेपो रेट से लिंक्ड होम लोन में भी कमी आई है.
अब इसकी तुलना में MCLR (Marginal Cost of Funds based Lending Rate) लिंक्ड लोन की दरें महंगी हुई हैं. आरबीआई के रेपो रेट घटाने के बाद ही पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSB’s) ने रेपो रेट लिंक्ड होम लेन की पेशकश की है.
क्या होती है रेपो रेट और MCLR
जानकारी के लिए बात दें कि इस स्कीम के तहत होम लोन का इंट्रेस्ट रेट्स (ब्याज दर) MCLR की जगह रेपो रेट से लिंक्ड होता है. ऐसे में MCLR में होम लेने वाले ग्राहक अपना फायदा भुना सकते हैं.
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक कई कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है. इस रकम पर आरबीआई बैंकों को ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.
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RBI ने जून 2020 में रेपो रेट और रिवर्स रेपा रेट में 0.40 फीसदी की कटौती की है. इसके बाद रेपो रेट 4 फीसदी के निचले स्तर पर आ चुका है.
वहीं रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी के स्तर पर है. इसके पहले मार्च में भी रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती की गई थी. RBI की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक अगस्त माह में होने वाली है.
समझें कैसे इजाफा कर सकते हैं होम लोन लेने वाले ग्राहक
उदाहरण के तौर पर समझिए किसी व्यक्ति ने 8.2 फीसदी की दर से MCLR लिंक्ड होम लोन बैंक से लिया है. इस लोन पर 180 महीने में 25 लाख रुपये का भुगतान बाकी है.
अगर इस ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होता है तो कुल ब्याज करीब 18.52 लाख रुपये होगा. इसकी ईएमआई करीब 24,180 रुपये होगी.
वहीं इसे अगर इसे 7.1 फीसदी की ब्याज दर पर भी रेपो लिंक्ड लोन में कन्वर्ट किया जाए तो इन 180 महीनों के लिए कुल ब्याज करीब 15.69 लाख रुपये होगा.
इस तरह से रेपो लिंक्ड लोन पर 2.83 लाख रुपये की बचत हो सकती है. लिहाजा इस तरह ग्राहकों को हर माह 1,570 रुपये कम EMI देनी होगी, जोकि 22,610 रुपये होगी.
इसके अतिरिक्त, अगर कर्जदार रिफाइनेंस किए जा चुके लोन पर पहले की तरह ही 24,180 रुपये प्रति महीने की EMI जमा करता रहा तो लोन की अवधि घटकर केवल 161 महीने की हो जाएगी. इससे ब्याज पर अतरिक्त 1.92 लाख रुपये की बचत हो सकती है.
ऐसे कमाई कर सकते हैं ग्राहक
रेपो रेट में RBI द्वारा लगातार की गई कटौती के बाद बैंकों के जरिए ग्राहक भी मुनाफा ले रहे हैं. RBI की कटौती के बाद कई बैंकों ने कर्ज दरों में कमी की है. इससे होन लोन भी सस्ता हो गया है.
कुछ बैंकों में होम लोन की रेट 7 फीसदी से भी नीचे आ गई है. देश का सबसे बड़ा बैंक SBI भी 7 फीसदी से कम दर पर होम लोन पेश कर रहे है.
आइए जानते हैं कि SBI समेत और कौन से बैंक हैं, जहां से 7 फीसदी से कम सालाना ब्याज दर पर होम लोन लिया जा सकता है.