तीन लोक से न्यारी गोवर्धन महाराज की छटा — श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया गोवर्धन पूजा पर्व

महाराज…” भक्ति और उल्लास से गूंजते इस जयकारे के साथ बुधवार को नगर एवं देहात क्षेत्र में गोवर्धन पूजा पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और अन्नकूट का प्रसाद वितरण किया।

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा के रूप में पूरे उत्तर भारत में विशेष महत्व रखता है। गोवर्धन पूजा के साथ मंदिरों और घरों में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न व्यंजनों का भोग भगवान को लगाया गया।

देवपुरा में देवेंद्र मिश्रा के आवास पर गोवर्धन की आकृति बनाकर पूरे परिवार व आसपास के लोगों ने श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की। वहीं जैतपुर नगर में दिवाकर शर्मा ने अपने आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर पूजा की। इस अवसर पर कोमल शर्मा, आध्या शर्मा, अंजली शर्मा, तेजस शर्मा और आराध्या शर्मा ने मिलकर सुख-शांति की कामना की।

पंडित प्रशांत वाजपेयी ने बताया कि गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी, जब उन्होंने इंद्र पूजा के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा का संदेश दिया था।

पूजा के दौरान फूल, रोली, धूप, दीपक, अक्षत, अन्नकूट, खील और बताशे का भोग लगाया गया। पंडित वाजपेयी ने कहा कि इस दिन गोवर्धन पूजा की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए और अंत में गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमाएँ करनी चाहिए। ऐसा करने से दीर्घायु, आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता दूर होती है।