नई दिल्ली। सरकार एक नई व्यवस्था लागू करने जा रही है जिसके तहत बिना ई-वे बिल के जा रही वाहनों के मामले में जीएसटी अधिकारियों को वास्तविक समय पर रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाएगी। इससे टोल प्लाजा पर ट्रकों को पकड़ने और जीएसटी चोरी रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही कर अधिकारियों को उन ई-वे बिलों की विश्लेषण रिपोर्ट भी उपलब्ध कराई जाएगी जहां वस्तुओं की ढुलाई नहीं हो रही।
धोखाधड़ी के मामलों को पहचानने में मिलेगी मदद
इससे अधिकारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के उपयोग के लिए फर्जी बिक्री सौदा दिखाने की धोखाधड़ी के मामलों को पहचानने में मदद मिलेगी।
जीएसटी व्यवस्था के तहत अप्रैल 2018 से 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है। हालांकि सोने को इससे छूट दी गई है। सरकार अब जीएसटी अधिकारियों के लिए आरएफआईडी पर वास्तविक समय और विश्लेषण रिपोर्ट पर काम कर रही है। इससे ई-वे बिल प्रणाली का दुरूपयोग कर रहे लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा।
आरएफआईडी टैग का होना जरूरी
जिन पांच राज्यों ने सर्वाधिक ई-वे बिल सृजित किए, वे गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाण, तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। जिन पांच क्षेत्रों में पिछले तीन साल में अधिकतम संख्या में ई-वे बिल सृजित किए गये, वे कपड़ा, इलेक्ट्रिक मशीनरी, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, लोहा और इस्पात तथा वाहन हैं। सरकार ने एक जनवरी, 2021 से आरएफआईडी/फास्टैग को ई-वे बिल प्रणाली से एकीकृत किया है। इसके तहत ट्रांसपोर्टर के लिये अपने वाहन में आरएफआईडी टैग का होना जरूरी है। साथ ही वस्तुओं की ढुलाई के लिये सृजित ई-वे बिल का ब्योरा आरएफआईडी में अपलोड करना आवश्यक है।