- नई शिक्षा नीति सामाजिक और आर्थिक जीवन को नई दिशा देने वाली
- ‘भारत उच्च शिक्षा आयोग’ का गठन किया जाएगा
- उच्च शिक्षा प्रणाली युवाओं को उनकी क्षमता के अनुरूप रोजगार के अवसर प्रदान करेगा
- विश्वविद्यालय सामाजिक कार्यों में भी सहभागिता करें
- तकनीकी और कृषि विश्वविद्यालय के समन्वय से हल्के और सस्ते टिकाऊ कृषि उपकरण विकसित किये जायें- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ देश में उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में से एक है जिसे 1925 में देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को आकार देने के लिए स्थापित किया गया था।
उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि इस संगठन से डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डाॅ. जाकिर हुसैन, डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे शिक्षाविद्, दार्शनिक एवं विचारकों ने इस संगठन के अध्यक्ष रहते हुए, न केवल इसे सींचा तथा पल्लवित किया, बल्कि अपनी विद्वता से उच्च शिक्षा को उसके उच्चतर स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की परम्परा, विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों एवं तकनीकी ज्ञान तथा कौशल विकास में समन्वय स्थापित करने का सफल प्रयास किया गया है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति में कई अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान, संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए नयी शिक्षा नीति के अन्तर्गत ‘राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन’ का सृजन के साथ ही चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए ‘भारत उच्च शिक्षा आयोग’ का गठन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-2022 के बजट में केन्द्र सरकार ने न सिर्फ अच्छी शिक्षा पर फोकस किया है, बल्कि लोगों के कौशल में निरन्तर वृृद्धि होती रहे इसके लिए भी कई घोषणाएं की है।
राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के दृष्टिगत उच्च शिक्षा प्रणाली युवाओं को अवसर प्रदान करेगा और उनकी क्षमता के रोजगार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि जब विद्यार्थी कौशल विकास करेंगे तो, वे स्वयं का उद्यम भी आसानी से प्रारम्भ कर सकेंगे और उससे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि आज मेक इन इण्डिया, स्टार्ट अप इण्डिया, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इण्डिया, स्मार्ट सिटी मिशन, जन-धन योजना, आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आदर्श ग्राम योजना, अटल पेंशन योजना, ऑपरेशन ग्रीन्स मिशन, एक भारत-श्रेष्ठ भारत, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से न्यू इंडिया का कार्य तेज गति से प्रगतिरत है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को सामाजिक कार्यों में भी सहभागिता करनी चाहिए ताकि सामाजिक समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय टी0बी0 ग्रस्त बच्चों को गोद लेने, आंगनवाड़ी केन्द्रों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने, बेटियों की एनीमिया जांच कराने, गर्भवती महिलाओं का सौ प्रतिशत प्रसव अस्पताल में कराने तथा स्तनपान को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करें।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों को वन कालेज वन विलेज अर्थात् कम से कम एक गांव गोद लेना चाहिए, जिससे कि गांवों की वांछित सहायता हो सके। राज्यपाल ने कहा कि इसके साथ ही विश्वविद्यालयों को सामाजिक सेवाओं के माध्यम से गोशाला, गैस फर्टिलाईजिंग, गोबर का उपयोग, लघु कौशल के कार्य को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालयों और कृषि विश्वविद्यालय के समन्वय से किसानों के लिए वजन में हल्के और सस्ते टिकाऊ कृषि उपकरण विकसित करने चाहिए, जो किसानों को आसानी से उपलब्ध कराये जा सकें। ये उपकरण हमारे छात्रों द्वारा बनाये जायेंगे, जिससे विश्वविद्यालय और छात्र दोनों आत्मनिर्भर होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि इसी प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दृृष्टि से चिकित्सा विश्वविद्यालयों एवं प्राविधिक विश्वविद्यालयों के मध्य चिकित्सीय यंत्र बनाने के लिए समझौता हो, जिसके अन्तर्गत चिकित्सीय जांच हेतु छोटे-छोटे आवश्यक उपकरण जैसे पल्स आॅक्सीमीटर तथा रक्त की जांच के उपकरण आदि तैयार किये जाये।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय जर्नल का विमोचन भी किया। इस मौके पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डाॅ0 पंकज मित्तल, श्री श्री विश्वविद्यालय कटक, उड़ीसा के कुलपति डाॅ. अजय कुमार सिंह, देश के अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण तथा कुलसचिव सहित अन्य महानुभाव आॅनलाइन जुड़े हुए थे।