“गौशाला बनी शो-पीस, खेतों में छुट्टा जानवरों का राज”

बहराइच। रुपईडीहा क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने जगह-जगह गौशालाएं खुलवाई हैं और छुट्टा जानवरों को पकड़कर इन गौशालाओं तक भेजने के लिए कर्मचारियों को कई बार आदेश दिए गए। बावजूद इसके, छुट्टा जानवरों का कब्जा अभी भी सामान्य सड़क मार्गों पर देखा जा रहा है। आज भी एनएच 927 पर चौपाए बैठते हैं और सड़क क्रॉस करते समय पिछले सप्ताह ही रुपईडीहा में दो गोवंश चार पहिया वाहन से टकरा कर मारे गए। नगर पंचायत ने मृत जानवरों को दफ़नवाया।

सुनसान सड़कों पर दुर्घटना में मर जाने वाले जानवरों के शव अक्सर रोड किनारे या गड्डों में फेंक दिए जाते हैं। इससे राहगीरों को दुर्गंध युक्त वातावरण से गुजरना पड़ता है। इसी बीच धान की फसल पक चुकी है और छुट्टा जानवर खेतों में घुसकर फसल चर रहे हैं। गंगापुर के ग्रामवासी राधेश्याम वर्मा, बाउर सोनकर, मजनू और फकीरे ने बताया कि किसानों ने बीज, यूरिया और नर्सरी के लिए खर्च किए, लेकिन अब पकी फसल पर चौपाए कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा करने वाला कोई नहीं है।

प्रदेश सरकार गौशालाओं में रखे गए जानवरों के लिए बड़ा बजट खर्च कर रही है और नई गौशालाओं का निर्माण भी चल रहा है। ब्लॉक नवाबगंज की शिवपुर मोहरनिया में अध-बनी और सूनी गौशाला निष्प्रयोज्य बनी हुई है। वहीं, रंजीतबोझा गांव सभा की निर्जन भूमि पर 1 करोड़ 68 लाख रुपये की लागत से एक सत्तासीन विधायक की सरपरस्ती में मानकों के विपरीत गौशाला निर्माण कार्य जारी है।

हालांकि मीडिया में गौओं और गौशालाओं पर बड़े-बड़े दावे और खबरें प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन स्थलीय निरीक्षण करने पर हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है। छुट्टा जानवरों का सड़क और खेतों में विचरण किसानों और आम जनता के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।