
प्रयागराज। गुरुद्वारा नैनी संगत में सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानकदेव का 557वां प्रकाशोत्सव रविवार को गहन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से देर रात तक गुरुद्वारा परिसर में भक्ति, सेवा और गुरु-महिमा की गूंज बनी रही। श्री अखंड पाठ साहिब के समापन के उपरांत गुरबाणी से पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग गया।
गुरुद्वारा नैनी को फूलों के आकर्षक दीवान से सजाया गया था। कई दिनों से चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों की कड़ी में रविवार को आयोजित शब्द-कीर्तन में रागी जत्थों ने मधुर कीर्तन कर संगत को निहाल कर दिया। गुरु के आशीष को प्राप्त करने के लिए लोग लगातार श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेकते रहे।
सेवा भावना से परिपूर्ण संगत ने प्रातः काल से देर रात तक गुरुद्वारे में नाम-सिमरन, श्रमदान और लंगर सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभा के दौरान संगत को साहिब श्री गुरु नानकदेव के जीवन इतिहास, उनके उपदेशों और मानवता के संदेशों से भी अवगत कराया गया। कथा, कीर्तन, आरती, अरदास और हुकमनामा के उपरांत गुरु का अटूट लंगर चलाया गया जिसमें सभी संप्रदायों और वर्गों के लोग एक पंक्ति में बैठकर बिना भेदभाव लंगर ग्रहण करते रहे।
दिवस भर प्रयागराज और आसपास के इलाकों के लोगों ने गुरुद्वारा पहुंचकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेककर आशीर्वाद लिया। समाज में भाईचारे, प्रेम और सेवा के संदेश के साथ प्रकाशोत्सव देर रात तक चलता रहा।
प्रकाशोत्सव को सफल बनाने में परमिंदर सिंह बंटी, सुरेंद्र सिंह, ज्ञानी जसपाल सिंह, पतविंदर सिंह, लखविंदर सिंह, राजू चढ़ा, कमल गुलाटी, हरप्रीत कौर, किरण रूपिंदर कौर, सतनाम सिंह, प्रितपाल सिंह, अवीन सहित बड़ी संख्या में महिलाएँ, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सेवादार मौजूद रहे।