राज्य संग्रहालय में “हैप्पी आवर्स” और ग्रीष्मकालीन कार्यशालाएं बनीं बच्चों की रचनात्मक उड़ान का मंच

लखनऊ, संस्कृति विभाग द्वारा संचालित राज्य संग्रहालय, लखनऊ में इन दिनों बच्चों की रचनात्मकता को उड़ान देने के उद्देश्य से “हैप्पी आवर्स” (खुशियों की पाठशाला) और ग्रीष्मकालीन कार्यशालाओं की श्रृंखला आयोजित की जा रही है। इन कार्यक्रमों में प्रत्येक कार्यदिवस के साथ शनिवार और रविवार को भी बच्चों के लिए दो घंटे के इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें ड्राइंग, पेंटिंग, खेल, कोस्टर आर्ट जैसी विविध गतिविधियों के माध्यम से बच्चों की कल्पना और सृजनात्मकता को नई दिशा दी जा रही है।

रविवार को आयोजित दो दिवसीय क्ले पॉटरी कार्यशाला में बच्चों को चाक पर मिट्टी से विविध डिज़ाइनों में पॉटरी बनाना सिखाया गया। बच्चों ने अपने हाथों से गुलदस्ते, दीपक, अगरबत्ती स्टैंड, प्लेट और शिवलिंग जैसी सुंदर कृतियों का निर्माण किया। इसी अवसर पर निदेशक डॉ. सृष्टि धवन की अध्यक्षता में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत वृक्षारोपण भी किया गया। छोटे-छोटे पॉट को बच्चों ने रंगों से सजाया और अपनी भावनाओं की स्वच्छंद अभिव्यक्ति की। इस सत्र में लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया, और कार्यक्रम का समन्वय डॉ. मीनाक्षी खेमका द्वारा किया गया।

लोक कला संग्रहालय, लखनऊ में आयोजित “पेपरमेशी से म्यूरल” कार्यशाला का भी सफल समापन हुआ। इस अवसर पर डॉ. सृष्टि धवन ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। श्री ज्योति प्रजापति (मुख्य प्रशिक्षिका) और श्रीमती शेफाली कपूर (सहायक प्रशिक्षिका) के मार्गदर्शन में बच्चों ने आकर्षक कलाकृतियाँ तैयार कीं। इस कार्यशाला में कुल 33 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इसी दौरान “हैप्पी आवर्स” कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों से आए लगभग 50 बच्चों ने मिट्टी के खिलौने बनाने की पारंपरिक कला सीखी, जो न सिर्फ उनकी रचनात्मक प्रतिभा को निखारने का माध्यम बना, बल्कि भारतीय लोककला से उनका परिचय भी करवाया।

कार्यक्रम की सफलता में अलशाज फातमी (सहायक निदेशक), शारदा प्रसाद, महावीर सिंह चौहान, प्रमोद कुमार, अनुपमा सिंह, शशिकला राय, गायत्री गुप्ता, राहुल सैनी, तमागनी राय, आयुषी कुमारी, सौरवेन्द्र प्रताप सिंह, पूनम सिंह, अरुण कुमार मिश्रा, अनुराग द्विवेदी, परवेज़ खान, मदन लाल आदि का सहयोग सराहनीय रहा।