
हरदोई। कल शाम हुई तेज बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। खेतों में कटे पड़े धान पानी में डूब गए हैं, जिससे भारी नुकसान की आशंका बढ़ गई है। कई किसानों के खेतों में तैयार फसल अब सड़ने के कगार पर है। पहले से ही खाद और यूरिया की किल्लत झेल रहे किसानों ने जैसे-तैसे धान की फसल तैयार की थी, लेकिन अब उन्हें उसका उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। मंडियों में धान की कीमत ₹1000 से ₹1700 प्रति क्विंटल तक ही मिल रही है, जो कि सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम है।
किसानों का कहना है कि लागत मूल्य तक नहीं निकल पा रहा है, जबकि पूरे सीजन में खाद, बीज और मजदूरी के दाम दोगुने हो गए हैं।
सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद ठप
किसानों ने बताया कि सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीदने में टालमटोल की जा रही है। नमी और ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी न होने का हवाला देकर धान नहीं खरीदा जा रहा। किसानों का कहना है कि “लगातार बारिश में तुरंत कटे धान में नमी होना स्वाभाविक है, लेकिन सरकारी मानकों में इतनी सख्ती है कि खरीद संभव नहीं हो पा रही है।”
अब आलू की फसल पर भी मंडरा रहा खतरा
बारिश ने अब आलू किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। जिन किसानों ने जल्दी बोआई कर दी थी, उनके खेतों में आलू सड़ने का खतरा बढ़ गया है। लगातार पानी भरने से बीज गलने और फसल के खराब होने की आशंका है। किसान कहते हैं कि अगर बारिश जल्द नहीं थमी तो आलू की बुवाई पर भी बुरा असर पड़ेगा, जिससे अगला सीजन भी प्रभावित हो सकता है।
किसानों की माँग — राहत पैकेज और त्वरित खरीद
हरदोई जिले में करीब 80 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है। लगातार बारिश, खाद की कमी और कम दामों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसान अब सरकार से राहत पैकेज, शीघ्र धान खरीद, और खाद आपूर्ति में सुधार की मांग कर रहे हैं।