नई दिल्ली। मंगलवार 2021, 14 सितंबर, भारत में हर साल की तरह बड़े ही उत्साह के साथ हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1949 में हिंदी को राजभाषा चुनने के समक्ष में कहा था कि इस दिन के महत्व को देखते हुए हर साल की 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
हिंदी भाषा का इतिहास
हिंदी भाषा को 14 सितंबर, 1949 के दिन राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। जिसके बाद 1950 में संविधान सभा ने बहुत सोच-विचार के बाद हिंदी को आज़ाद भारत का अपना संविधान लिखने के लिये चुना गया। 26 जनवरी 1950 को संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी से आज़ाद भारत का संविधान लिखा गया। कुछ समय बाद, साल 1963 में भारत में गैर हिंदी भाषी राज्य के लोगों ने इसका विरोध किया और उनके दबाव में आ कर 1965 में संविधान सभा ने अंग्रेज़ी को भी आधिकारिक भाषा बना दिया।
लुप्त होती हिंदी
भारत में अलग-अलग जगह पर भिन्न-भन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। यहां तकरीबन 136.64 करोङ की आबादी में कुल 40 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। जबकि 60 प्रतिशत आबादी अलग-अलग ज़ुबां की है। जिसके चलते अब हिंदी से ज़्यादा महत्व अंग्रेज़ी को दिया जाता है। हिंदी भाषा अब बस बोल-चाल तक सीमित रह गयी है। यहां तक कि हिंदी का महत्व बताने के लिये प्रचार-प्रसार करना पड़ रहा है।