अंशुल त्यागी
नई दिल्ली। कभी चीन के भारत के खिलाफ आक्रामक कदम उठाने का जिम्मेदार 370 को ठहराने वाले, कभी ये कहने वाले कि कश्मीर के लोग खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं, कभी ये कहने वाले कि नई पीढ़ी के आतंकी आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं फारुख़ अबदुल्ला आज ये कह रहे हैं कि मुझे गोली भी मार दोगे तो भी कश्मीर सिर्फ भारत का ही रहेगा। अचानक ऐसा क्या हुआ कि फारुख़ अबदुल्ला के सुर बदल गए, ऐसा क्या हुआ कि आतंकियों को भटके हुए युवा बताने वाले अबदुल्ला उन्हें शैतान बता रहे हैं। सवाल ये है कि क्या फारुख़ अबदुल्ला का पाकिस्तान से मोह भंग हो गया है या फिर केंद्र की मोदी सरकार के दबाव में फारुक वो सब बोल रहे हैं जो आतंकियों के पक्ष में नहीं है।
हाल ही में फारुख़ अबदुल्ला ने अपने एक बयान में कहा है कि मुझे मार भी दिया तो कश्मीर भारत का हिस्सा रहेगा। कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा क्योंकि हम भारत का हिस्सा हैं और रहेंगे, ‘भले ही मुझे गोली मार दी जाए’। उनका यह बयान फारुख़ अबदुल्ला ने हाल ही में आतंकियों की गोली से मारी गई प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के अंतिम अरदास के कार्यक्रम में दिया और कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षित करने वाली एक शिक्षिका की हत्या करना इस्लाम में खिदमत नहीं है। इस दौरान फारुख़ अबदुल्ला का एक दूसरा ही चेहरा सामने आया जिसे देखकर लोग हैरत में हैं, कि अबदुल्ला सच में बदल गए हैं या उनके बयान में कोई चाल है ?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष फारुख़ अबदुल्ला कश्मीर के ऐसे लीडर हैं जो बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक के साथ गठजोड़ कर चुके हैं। एक समय अटल बिहारी बाजपेयी के बेहद करीबी माने जाने वाले अबदुल्ला अब कश्मीर में भाजपा के खिलाफ और 370 हटाने के खिलाफ लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। उनका पाकिस्तान प्रेम अक्सर दिखाई देता है, लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि उन्हें आत्मग्यान हो गया है और वह हिन्दुस्तान के अभिन्न अंग कश्मीर से पाकिस्तान को कड़ा संदेश देना चाहते हैं। आतंकियों के खिलाफ सेना की बड़ा ऑपरेशन और घाटी में आतंकियों के टूटते हौंसले के बीच फारुख़ अबदुल्ला का ये बयान बेहद महत्वपूर्ण है। जाहिर है कि पाक्सितान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल बाजवा फारुख़ अबदुल्ला के इस बयान के बाद बेहद बैचेन हो गए होंगे। आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को फारुख़ अबदुल्ला का ये बयान ज़ोर का झटका धीरे से लगने जैसा है। यही वजह है कि पाकिस्तान आतंकियों के जरिए भारत में नई साजिश रच रहा है, लेकिन मोदी सरकार के नेतृत्व में आतंकियों पर लगातार चोट जारी है।
प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के अंतिम अरदास में फारुख़ अबदुल्ला ने कश्मीर के लोगों से साहसी बनकर एक साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की अपील की और आक्रामक अंदाज में आतंकियों को जानवर बताते हुए यहां तक कहा कि,” इन जानवरों से हमें लड़ना होगा और ये याद दिलाना होगा कि कश्मीर कभी पाकिस्तान नहीं बनेगा। हम भारत का हिस्सा हैं और हम भारत का हिस्सा रहेंगे, चाहे जो हो जाए।” अब्दुल्ला कई बार कश्मीर पर विवादित बयान दे चुके हैं और कई बार विवादों के कारण चर्चाओं में भी रहे हैं, यहां तक की ट्रोल तक भी हुए और लोगों ने कई बार खरी-खरी भी सुनाई है। हालांकि अबदुल्ला ने इस कार्यक्रम में 90 के उस दशक को भी याद किया जब कई लोग डर के कारण घाटी छोड़कर चले गए थे लेकिन उन्होनें कहा कि उस समय भी सिख समुदाय यहां से नहीं गया था और उनके इसी मनोबल को हमें ऊंचा रखना होगा और साहसी बनना होगा। हालांकि आखिर में उन्होनें राजनीति को भी बीच में ला दिया और बोला कि भारत में धर्मों को बांटने की राजनीति चल रही है, हमें इससे बचना है और साथ मिलकर भारत को बचाना है।
इस बीच जम्मू-कश्मीर की एक और लीडर महबूबा मुफ्ती ने ड्रग्स केस में फंसे शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को लेकर बयान दिया है कि उन्हें जांच एजेंसी इसलिए परेशान कर रही है क्योंकि वो मुसलमान है।
एक ओर जहां फारुख़ अबदुल्ला आतंकियों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती अब भी आतंकियों के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं। ऐसे में क्या ये मान लिया जाए कि दोनों नेताओं में आतकियों को लेकर गंभीर मतभेद है और क्या सच में महबूबा अब फारुक अबदुल्ला के बयान के विरोध में हैं? जम्मू-कश्मीर में एनआई ए लगातार छापेमारी कर रही है, घाटी में हवाला से लेकर आतंकियों से गठजोड़ कर सरकार कड़ी जांच करा रही है, ऐसे में आतंकियों को पनाह देने वालों की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। सवाल यह है कि क्या केंद्र के कठोर रुख के चलते जम्मू-कश्मीर के नेताओं के सुर बदल गए हैं.. और यह भी कि क्या आतंकियों के खिलाफ सरकार लड़ाई जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहती है, आंकड़े बताते हैं कि सेना ने जम्मू-कश्मीर से आतंकियों को खदेड़ने और मारने के नए रिकॉर्ड बना चुकी है, ऐसे में पाकिस्तान में बैठे आतिंकियों के आकाओं का जोर फिलहाल चलता नहीं दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि घाटी में न सिर्फ तिरंगा यात्रा निकल रही है, बल्कि जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान भी होते दिख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की जनता बदलाव देख रही है और ऐसा लगता है की स्थानीय नेता भी अब ये समझ चुके हैं कि कश्मीर के हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।
फारुख़ अबदुल्ला अगर आतंकियों के खिलाफ लड़ना चाहते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन उनमे आए इस अचानक बदलाव से कई सवाल भी खड़े होते हैं, फिलहाल फारुख़ की इस नई सोच को हिन्दुस्तान सम्मान देता है, उम्मीद है कि उनके बेटे उमर अबदुल्ला भी नए कश्मीर में फारुख़ के नए विचार का स्वागत करेगें।